नई दिल्ली. आसपास के माहौल में सकारात्‍मक ऊर्जा हो या नकारात्‍मक ऊर्जा, दोनों ही हम पर असर डालती हैं. वास्‍तु शास्‍त्र का सिद्धांत इन ऊर्जाओं पर ही आधारित है. वास्‍तु शास्‍त्र में नकारात्‍मक ऊर्जा को सकारात्‍मक ऊर्जा में बदलने के तरीके बताए गए हैं. साथ ही कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने से घर, ऑफिस या किसी भी जगह को सकारात्‍मकता से भरा जा सकता है. ऊर्जा का प्रभाव हमारे जीवन के हर पहलू पर पड़ता है. यदि ऊर्जा गलत हो तो इसके बुरे नतीजे झेलने पड़ते हैं. ऐसी स्थिति में इन वास्‍तु दोषों को दूर करने के लिए जल्‍द से जल्‍द उपाय कर लेने चाहिए. आज हम जानते वास्‍तु दोष या नकारात्‍मक ऊर्जा को पहचानने के तरीके जानते हैं.

घर, ऑफिस या जिस भी जगह पर ताजगी महसूस न हो, तो यह वास्‍तु दोष होने का लक्षण है. यानी कि अच्‍छी नींद लेने, बिना किसी सेहत संबंधी समस्‍या के पर्याप्‍त चाय-कॉफी पीने के बाद भी थकावट-कमजोरी महसूस हो तो यह उस जगह पर नकारात्‍मक ऊर्जा होने का संकेत है.

कई लोगों को बिना किसी कारण के नौकरी में तरक्‍की न मिले, व्‍यापार में घाटा हो और इसके बाद भी व्‍यक्ति कोई साहसिक कदम न उठा पाए तो यह भी वास्‍तु दोष का लक्षण है. वास्‍तु दोष व्‍यक्ति के साहस-आत्‍मविश्‍वास पर बुरा असर डालता है. हमेशा बीमार रहना भी वास्‍तु दोष की निशानी हो सकती है. घर के सदस्‍यों का अक्‍सर बीमार रहना वास्‍तु दोष का लक्षण है.

तमाम कोशिशों के बाद भी घर में पैसा न टिकना, आय न बढ़ता, तरक्‍की न होना वास्‍तु दोष का लक्षण है. ऐसे लोगों के हाथ आए अवसर भी निकल जाते हैं. बार-बार धन हानि होना या आर्थिक स्थिति में बार-बार उतार-चढ़ाव आना भी वास्‍तु दोष का संकेत है.

घर में हमेशा कलह होना, बेवजह लोगों में चिड़चिड़ाहट होने के पीछे वास्‍तु दोष के कारण पैदा हुई नकारात्‍मक ऊर्जा हो सकती है. घर के लोगों की आपस में न बनना. जिंदगी जीने का उत्‍साह कम होना, हमेशा निराशा या उदासी से घिरे रहना भी वास्‍तु दोष का लक्षण है.