नई दिल्ली : आचार्य रजनीश उर्फ ओशो के दुनिया भर में आज भी करोड़ों प्रशंसक हैं। उनके वीडियो और किताबें आज भी लोग सुनते और पढ़ते हैं। इन लोगों में ओशो को लेकर एक उत्सुकता भी रहती है कि आखिर क्यों उन्हें ‘सेक्स गुरु’ जैसी अनचाही उपाधि मिली और इस पर उनका रिएक्शन क्या था। इस पर उनके साथ करीब 4 साल गुजारने वाले पीपल बाबा ने विस्तार से जानकारी दी है। पीपल बाबा ने कहा कि ओशो को तो मीडिया के इस प्रचार में मजा आता था। वह कहते हैं, ‘ओशो का कहना था कि मैंने गीता, महावीर, बुद्ध, जीसस, रैदास, कबीर पर बोला, लेकिन इतने लोग नहीं आए। मैंने एक रोल्स रॉयस कार लाकर खड़ी कर दी तो पूरी दुनिया का मीडिया मेरे पास आ गया। मुझे सेक्स गुरु कहा जाने लगा और अमीरों का गुरु कहा गया। यह देखो, यही मनुष्य का स्वभाव है।’

ओशो को सेक्स गुरु बताए जाने पर पीपल बाबा ने कहा कि ऐसा नैरेटिव बना था, जो गलत था। लेकिन यह भी सच है कि यदि उन्होंने सेक्स पर बात भी की तो गलत क्या था। पीपल बाबा ने कहा कि सेक्स से तो हम सभी लोग पैदा हुए हैं। फिर इसके बारे में बात करने में गलत क्या है। उन्होंने हमारी नजर को बदला। वह कहते थे कि आप जा रहे हैं और आपके सामने से कोई आ रहा है और आपने मुस्कुरा कर जवाब नहीं दिया तो उसे खराब माना जाता है। हमें आश्रम में बताया गया कि कैसे किसी की सुंदरता की तारीफ की जाए। यह तो मानवीय बात है और सुंदर स्थिति है। यह तो लैंगिक समानता वाली बात है। ओशो का आश्रम तो हमारे लिए एक यूनिवर्सिटी था। ओशो ने पानी, पहाड़, जंगल जैसी सभी चीजों पर बात की। उनका साफ कहना था कि यदि कोई आश्रम बन रहा है तो पेड़ नहीं कटेगा।

पीपल बाबा ने कहा कि ओशो ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। आज जो मैं बातें करता हूं, उसके पीछे ओशो के द्वारा दिया ज्ञान ही है। उन्होंने मुझे हर चीज के बारे में एक संदर्भ दिया और उसका आध्यात्मिक आधार पर विश्लेषण करने की शक्ति प्रदान की। पीपल बाबा ने एचटी स्मार्टकास्ट के पॉडकास्ट में अपने करियर और पर्यावरण को लेकर अपने योगदान पर भी बात की। उन्होंने कहा कि मेरे पिता आर्मी में डॉक्टर थे। इसलिए उनका कहना था कि या तो सेना में जा या फिर डॉक्टर बन जा। उस दौर में खुरपी लेकर गड्ढे खोद रहा था। ऐसी शिक्षा में मुझे अपने टीचर से मिली थी। उन्होंने कहा कि शुरुआती दिनों में मुझे अपने करियर को लेकर भ्रम की स्थिति थी, लेकिन फिर इसी राह पर आगे बढ़ने का फैसला लिया और उसमें ओशो का बड़ा योगदान है।

बता दें कि पीपल बाबा का वास्तविक नाम आजाद जैन है। उनका जन्म चंडीगढ़ में हुआ था और उनके पिता सेना में डॉक्टर थे। आजाद जैन को कॉलेज और यूनिवर्सिटी एजुकेशन के बाद स्वामी प्रेम परिवर्तन नाम मिला था। उन्होंने लंबा समय योग और ध्यान की शिक्षा में बिताया। फिर वह पर्यावरण संरक्षण की ओर मुड़े और उन्होंने बड़े पैमाने पर पीपल के पेड़ लगाए हैं। इसी के चलते उन्हें पीपल बाबा नाम भी मिला। वह अब तक देश भर में करीब 1.25 करोड़ पीपल लगा चुके हैं। उनका कहना है कि हम सभी को कम से कम एक पेड़ लगाना चाहिए और यही पर्यावरण संरक्षण के लिए हमारा बड़ा योगदान रहेगा।