नई दिल्ली.भगवान अपने शरणागत की रक्षा करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. विभीषण भी ऐसे ही भगवत भक्त थे जिन पर श्री राम की विशेष कृपा थी. सभी जानते हैं कि पुलस्त्य ऋषि के पुत्र विश्रवा के सबसे बड़े पुत्र कुबेर हुए. विश्रवा ने एक असुर कन्या से विवाह किया जिनसे रावण, कुम्भकर्ण और विभीषण हुए. तीनों ने घोर तप किया तो ब्रह्मा जी ने प्रकट होकर वर मांगने को कहा. रावण ने त्रैलोक्य विजयी, कुम्भकर्ण ने छह माह की नींद मांगी लेकिन विभीषण ने भगवत भक्ति मांगी. रावण ने कुबेर को निकाल कर असुरों की प्राचीन पुरी लंका को राजधानी बनाया जहां तीनों भाई रहने लगे.

श्रीराम ने दिया चिरंजीवी रहने का आशीर्वाद
इसके बाद की कथा सबको पता है कि दंडकारण्य से रावण ने सीता माता को चुराया और हनुमान जी पता लगाने लंका गए तो विभीषण से भेंट हुई. लंका को जलाने के बाद हनुमान जी तो लौट आए और पीछे से विभीषण भी श्रीराम की शरण में पहुंच गए क्योंकि रावण ने उन्हें निकाल दिया था. विभीषण को देख श्रीराम के सहयोगियों ने शंका व्यक्त की कि यह रावण का भाई है और भेद लेने आया है. विभीषण ने कहा, प्रभु मुझे अपनी शरण में लीजिए. युद्ध में रावण सपरिवार मारा गया और विभीषण को लंका का राज्य मिला. पुष्पक विमान पर चढ़ाकर विभीषण श्री राम को अवधपुरी तक छोड़ने आए तो प्रभु ने उनका यथोचित सत्कार कर चिरंजीवी रहने का आशीर्वाद दिया.

राम नाम ने लगाया समुद्र के पार
कहते हैं एक बार समुद्र में एक जहाज फंस गया. काफी कोशिशों के बाद भी आगे न बढ़ने पर नाविक ने कहा कि समुद्र बलि चाहता है. तो सभी ने जहाज में बैठे एक दुर्बल व्यक्ति को बहा दिया. वह मरा नहीं बल्कि समुद्र की तरंगों में बहते हुए लंका जा पहुंचा. राक्षस उसे लेकर विभीषण के पास पहुंचे तो विभीषण जी उसे देख कर रोने लगे कि श्रीराम इसी आकार के थे, बड़े भाग्य से उनके दर्शन हुए हैं. विभीषण ने उस बुजुर्ग व्‍यक्ति का सम्मान करके बहुत से उपहार दिए पर वह व्यक्ति और कमजोर होता गया. विभीषण जी ने हाथ जोड़ कर निवेदन किया प्रभु कृपा करिए. इस पर उस व्यक्ति ने कहा कि मुझे तो समुद्र के उस पार पहुंचा दीजिए. आपका उपकार होगा. विभीषण जी उसे समुद्र तट तक लाए और रत्न आभूषण आदि देते हुए उसके सिर पर श्रीराम का नाम लिखते हुए कहा कि यही राम नाम तुम्हें समुद्र के पार पहुंचाएगा.

वह व्यक्ति विश्वास कर राम नाम लेते हुए वहीं बैठ गया. संयोगवश वही जहाज लौटकर आया जिसने उसे गिराया था. जहाज में सवार लोगों ने उसे पहचान लिया तो उसने पूरा किस्सा बताया. लोगों ने अनुनय विनय करके उस व्यक्ति को जहाज में बैठा लिया और जब नाविकों ने उसके रत्न आभूषण छीनना चाहा तो वह समुद्र में कूद पड़ा लेकिन इसके बाद जो चमत्‍कार हुआ, उसे देखकर सब हैरान रह गए. वह व्‍यक्ति जमीन की तरह चलते हुए समुद्र पार करने लगा. समुद्र का जल तो उसके पैरों को छू भी नहीं रहा था. पूछने पर उसने विभीषण जी के राम नाम मंत्र की महिमा बताई. तो सारे लोग राम नाम का सुमिरन करने लगे.