नई दिल्ली. भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पावन उत्सव जन्माष्टमी, अनेक वर्षों से हम मनाते आ रहे हैं. इस साल भी 19 अगस्त 2022 को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है. भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कंस के कारागार में बाल गोपाल ने महाराज वासुदेव और माता देवकी की अष्टम संतान के रूप में जन्म लिया. गिरधर गोपाल के कार्यों और विचारों ने समस्त ब्रह्मांड को मोहित कर लिया.

भगवान श्री कृष्ण को योगीराज श्री कृष्ण भी कहा जाता है. यह वही श्री कृष्ण हैं, जिन्होंने छोटी सी आयु में ही अपने दुष्ट कंस मामा को मृत्यु के घाट उतार कर अपने नाना श्री उग्रसेन जी को मथुरा के सिंहासन पर फिर से प्रतिष्ठित किया और अपने माता-पिता को कंस के कारागृह से मुक्ति दिलाई.

यह वही श्री कृष्ण हैं, जो गोपियों के प्रिय सखा रहे और उनके साथ महारास रचाया और छोटे कृष्ण की बाल लीलाएं अद्भुत हैं. बालक के रूप में नटखट और शरारती कन्हैया ने कभी बांसुरी बजा कर तो कभी माखन चुरा कर सबका दिल चुराया.

सोलह कलाओं में संपूर्ण भगवान श्री कृष्ण का जीवन संघर्षों से भरा रहा. कंस ने कृष्ण को मारने के लिए कई प्रयत्न किए लेकिन बाल गोपाल की महीमा के सामने कंस के साी कोशिशें फेल हो गई. श्री कृष्ण ने खुद को एक युगपुरुष के रूप में स्थापित कर मनुष्यों को यह सीख दी कि यदि मानव भी सही पथ पर चले और कोई कार्य करने का संकल्प प्रण ले तमाम मुश्किलों का सामना कर सकता है.

यह वही श्रीकृष्ण हैं, जिन्होंने अपनी बहन द्रोपदी की राखी की लाज रखी और भरी सभा से द्रोपदी को अपमानित होने से बचाया. श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश देकर चनुतियों का सामने करने का पाठ पढ़ाया. गीता के विभिन्न अध्यायों के माध्यम से कान्हा ने व्यक्ति को कर्म के प्रति आस्थावान रहने के लिए प्रेरित किया है.

मानव को यह समझना होगा कि हमें अपने महान पूर्णअवतार भगवान श्री कृष्ण को मानना तो उनकी कही बातों को जीवन में अपनाना होगा. तभी सफलता प्राप्त होगी और यही कृष्ण की सच्ची भक्ति कहलाएगी.

हमें किसी भी परिस्थिति से घबराना नहीं चाहिए बल्कि डटकर हर चुनौती का सामना करना चाहिए.
चाहे आप कितनी भी विकट परिस्थिति में क्यों ना हों, यदि आपके अंदर क्षमता है तो आप एक न एक दिन सबकी नजरों में आ ही जाएंगे.
अमीर हो या गरीब, सभी को समान मानें. जिस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने कभी किसी सखा या सखी में भेदभाव नहीं किया, उसी प्रकार हमें भी जीवन में समभाव रखना चाहिए.
हमें कभी भी अन्याय को सहन नहीं करना चाहिए, इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने देवराज इंद्र का अहंकार चूर चूर किया.
किसी को दिए हुए वचन का मान रखना चाहिए और जिस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को दिया वचन निभाया, उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन में अपने वचनों का पालन करना चाहिए.
धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश के लिए भगवान कृष्ण हर बार प्रकट हुए. हमें भी अपने धर्म की रक्षा करनी चाहिए और अधर्म के विरुद्ध लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए.
यदि आपका कोई अपना गलत राह पर है तो उसे सही राह दिखाएं, जैसे भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता के उपदेश में बताया.
सदैव सत्कर्म करने की ओर प्रेरित होना चाहिए और भगवान श्री कृष्ण जी के अवतार की भी यही प्रेरणा है.
महिलाओं का सदा सम्मान करें जिस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने 16000 स्त्रियों को बंधन से मुक्त कराया.
एक ऐसा मित्र बनाएं जो हर समय आपकी मदद के लिए तैयार हो जिस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा जी से दोस्ती निभाई.
भगवान श्री कृष्ण आपके जीवन में सुख सुविधाओं की वृद्धि करें और आप एक कर्मशील प्राणी बनें, यही हमारी शुभकामना है.