नई दिल्ली. सावन का महीना 14 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। ऐसे में शिव भक्त इस पूरे महीने में शिव की आराधना में लगे रहते है। आज हम आपको बताएंगे शिवलिंग पर बिल पत्र चढ़ाने का महत्व। बता दें कि पूजा में हम भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र भी अर्पित करते हैं। बेलपत्र के पत्ते भगवान शिव को बहुत प्रिय हैं, इसलिए भगवान शिव की पूजा अर्चना में यदि बेलपत्र नहीं चढ़ाया तो वह अधूरी मानी जाती है। बेलपत्र के तीन पत्ते जो आपस में जुड़े होते हैं, पवित्र माने जाते हैं।
बेलपत्र में तीन पत्ते आपस में जुड़े हुए हैं इसलिए इन तीन पत्तों को त्रिदेव माना जाता है और कुछ का मानना है कि तीन पत्ते महादेव के त्रिशूल का प्रतिनिधित्व करते हैं। हिंदू धर्म की एक मान्यता के अनुसार बेलपत्र के तीन जुड़े हुए पत्तों को शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव को शांति मिलती है और भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। जिसे शिवलिंग पर चढ़ाने के अलग नियम है….आइए जानते है
बेलपत्र चढ़ाने के नियम
1. भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ का भाग स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र चढ़ाएं।
2. बेलपत्र को अनामिका,अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं एवं मध्य वाली पत्ती को पकड़कर ही शिवजी को अर्पित करें।
3.शिव जी को कभी भी सिर्फ बिल्वपत्र अर्पण नहीं करें, बेलपत्र के साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं।
4.बेलपत्र की तीन पत्तियां ही भगवान शिव को चढ़ाएं।
5. ध्यान रखें कि बेलपत्र की पत्तियां कटी-फटी न हों।
6. कुछ तिथियों पर बेलपत्र तोड़ना वर्जित होता है।
7. चतुर्थी,अष्टमी,नवमी,चतुर्दशी और अमावस्या को,संक्रांति के समय और सोमवार को बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए।
8.बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होता। पहले से चढ़ाया हुआ बेलपत्र भी फिर से धोकर चढ़ाया जा सकता है।
सावन में इस तरह अर्पित करें बेल पत्र
1.सावन में शिव जी को चंदन का तिलक लगाएं।
2.इसके बाद बेलपत्र, भांग, धतूरा,आदि अर्पित करें।
3.बेलपत्र अर्पित करने के बाद जल से अभिषेक करें।
4.इसके बाद शिव जी के समुख दीप जलाएं
5.भोग में केसर की खीर लगाएं।