नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू हो रही है. नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा की उपासना के लिए श्रेष्ठ माने गए हैं. इस दौरान मां शैलपुत्री से लेकर सिद्धिदात्री माता की पूजा की जाती है. नवमी के दिन हवन और विसर्जन के साथ दुर्गा का समापन होता है. देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठ हैं. नवरात्रि के दौरान भारत में स्थापित शक्तिपीठों में माता के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है. आइए जानते हैं मां दुर्गा के प्रमुख 9 शक्तिपीठ और इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में.
माता शक्तिपीठ से जुड़ी कथा का वर्णन पुराणों में भी मिलता है. पौराणिक कथा के अनुसार, दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के मृत शरीर को लेकर भगवान शिव पृथ्वी पर तांडव करने लगे. तब भगवान भगवान विष्णु ने शिवजी के क्रोथ को शांत करने के लिए सुदर्शन चक्र से सती के मृत शरीर को टुकड़े-टुकड़े कर दिए. इस क्रम में सती के शरीर के अंग और आभूषण जहां-जहां गिरे, वे स्थान शक्तिपीठ का नाम से मशहूर हो गए.
1. कालीघाट मंदिर कोलकाता- पांव की चार अंगुलियां गिरी
2. कोलापुर महालक्ष्मी मंदिर- त्रिनेत्र गिरा
3. अम्बाजी का मंदिर गुजरात- हृदय गिरा
4. नैना देवी मंदिर- आंखों का गिरना
5. कामाख्या देवी मंदिर- यहां गुप्तांग गिरा था
6. हरसिद्धि माता मंदिर उज्जैन बायां हाथ और होंठ यहां पर गिरे थे
7. ज्वाला देवी मंदिर सती की जीभ गिरी
8. कालीघाट में माता के बाएं पैर का अँगूठा गिरा था.
9. वाराणसी- विशालाक्षी उत्तर प्रदेश के काशी में मणिकर्णिक घाट पर माता के कान के मणिजड़ित कुंडल गिरे थे.
देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का जिक्र किया गया है. वहीं देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का उल्लेख है. इसके अलावा तंत्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं. बता दें कि देवी पुराण के मुताबिक 51 शक्तिपीठ में से कुछ विदेश में भी स्थापित हैं. भारत में 42 शक्तिपीठ हैं और 5 देशों में 9 शक्तिपीठ स्थापित हैं.