नई दिल्ली : आज आपके लिए एक छोटा-सा चैलेंज है. क्या आप अपने पास बैठे हुए किसी शख़्स की उम्र का पता केवल अपनी सूंघने की क्षमता का इस्तेमाल करते हुए लगा सकते हैं?
उस शख़्स ने कोई परफ़्यूम नहीं लगा रखा होगा, मगर उसके अपने बदन की ख़ास गंध होगी, जिससे आपको उसकी उम्र के बारे में बताना होगा.
यह चैलेंज मुझे टिक टॉक पर नहीं मिला, लेकिन मुझे एक ऐसा शोध ज़रूर मिला है, जिससे यह साबित होता है कि हम किसी व्यक्ति की अपनी प्राकृतिक गंध की वजह से उसकी उम्र का पता कैसे कर सकते हैं.
हमारे शरीर से आने वाली महक हमेशा एक जैसी नहीं होती, बल्कि यह हमारी पूरी ज़िंदगी के अलग-अलग दौर में बदलती रहती है और इसमें जो बदलाव आता है वह न केवल हमारे प्राकृतिक जीवन के बारे में बताता है बल्कि सामाजिक और विकासात्मक झुकाव को भी बयान करता है.
इमेज कैप्शन,शरीर की गंध से बच्चों को पहचानने की क्षमता मां-बाप में उस समय कम हो जाती है, जब उनकी संतान का बचपन ख़त्म हो जाता है.
बचपन में हमारे बदन की गंध आम तौर पर पसीने की ग्रंथि के कम सक्रिय होने और चमड़े की माइक्रोबायोम की वजह से हल्की होती है.
यह महक माता-पिता में सुखद और जानी-पहचाना भावनात्मक लगाव पैदा करती है और बच्चे के साथ ख़ुशी और प्यार की भावनाओं को सक्रिय करके माता-पिता में मौजूद तनाव को कम करने में भी मदद देती है.
पूरी तरह व्यावहारिक विकासात्मक दृष्टिकोण से देखा जाए तो बच्चों से आने वाली ख़ास महक इतनी प्रभावी होती है कि माता-पिता को अपनी आने वाली नस्ल पर पैसे ख़र्च करने को भी प्रेरित करती है.