नई दिल्ली : दिल्ली में चल रही सियासी हलचल के बीच अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. उनकी जगह अब दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी मार्लेना नई मुख्यमंत्री होंगी. अरविंद केजरीवाल के आवास पर आम आदमी पार्टी की बैठक में यह फैसला लिया गया. दरअसल दिल्ली की तिहाड़ जेल से रिहा होने के कुछ दिनों बाद ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक अप्रत्याशित घोषणा कर लोगों को चौंका दिया था.
उन्होंने कहा था कि वह दो दिन में इस्तीफा दे देंगे. यह बात हैरान करने वाली थी. क्योंकि जब वह जेल में थे, बीजेपी लगातार उनके इस्तीफे की पुरजोर मांग करती रही थी. बीजेपी ने यह बात भी रखी थी कि यह तो संवैधानिक संकट की स्थिति है, क्योंकि राज्य का मुखिया जेल में है. लेकिन केजरीवाल ने सीएम पद छोड़ने की बात को हमेशा टाल दिया.
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अरविंद केजरीवाल करेंगे क्या? आइए इसका जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं. हरियाणा विधानसभा चुनाव सिर पर हैं. आम आदमी पार्टी हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इसलिए यहां पर उसके लिए दांव काफी ऊंचे हैं. हरियाणा में अपने दम पर चुनाव लड़ने के लिए आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के लिए मना कर दिया था. अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक भी हैं, इसलिए हरियाणा मेंं सफलता का सारा दारोमदार उनके कंधों पर है.
अब जब अरविंद केजरीवाल ने खुद को दिल्ली में सीएम पद से मुक्त कर लिया है तो उनकी हरियाणा में सक्रियता बढ़ेगी. इस राज्य में चुनाव नजदीक होने के कारण कांग्रेस और भाजपा सहित अन्य राजनीतिक दलों ने खुद को प्रचार अभियान में झोंक दिया है. हरियाणा की दोनों मुख्य राजनीतिक पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के पास कई बड़े नेता हैं, जिनके नाम पर वे चुनाव अभियान में आगे बढ़ रहे हैं. लेकिन आम आदमी पार्टी के पास हरियाणा में ऐसा कोई चेहरा नहीं है.
अब अरविंद केजरीवाल के जुटने से उनकी यह कमी पूरी हो जाएगी और पार्टी के चुनाव प्रचार में नई जान आएगी.क्योंकि केजरीवाल मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं तो इसका उन्हें लाभ मिलेगा. अरविंद केजरीवाल की गैरहाजिरी में उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने पार्टी की कमान संभाली हुई थी. हरियाणा आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता ने हाल ही में कहा था कि अरविंद केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद से कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ गया है.
हरियाणा के बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी ज्यादा समय नहीं रह जाएगा. फरवरी 2025 में दिल्ली विधानसभा चुनाव भी होने हैं. इस तरह दिल्ली के लिए पांच महीने से भी कम समय बचा है. वैसे भी, सुप्रीम कोर्ट की कड़ी जमानत शर्तें केजरीवाल को मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करने की अनुमति नहीं देतीं. फिर अगर वह सरकार के मुखिया बने रहते तो टकराव की स्थिति बनती और केंद्र को उनकी सरकार बर्खास्त करने का बहाना मिल जाता. ऐसे में चुनाव जल्दी हो सकते थे. उस स्थिति में आम आदमी पार्टी को तैयारी के लिए समय नहीं मिलता.
केजरीवाल का सीएम पद से इस्तीफा चुनाव की तारीखों को आगे बढ़ाने और दिल्ली में सत्ता में वापसी का एक प्रयास है. केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा का समय महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें खुद को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा ‘प्रतिशोध की राजनीति’ के शिकार के रूप में पेश करने का अवसर देता है. पद छोड़ कर, केजरीवाल का लक्ष्य जनता की सहानुभूति बटोरना और अपना आधार जुटाना है, जिसका संभावित रूप से आगामी दिल्ली के चुनावों में लाभ हो सकता है.
केजरीवाल के इस्तीफे के पीछे प्राथमिक कारणों में से एक उनके, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आप के अन्य लोगों के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के आरोप बड़ी वजह रहे हैं. उत्पाद शुल्क (आबकारी) नीति का मामला आप के लिए एक कांटा बन गया है. दोनों नेताओं को कानूनी लड़ाई और सार्वजनिक जांच का सामना करना पड़ रहा है. पद छोड़ने के बाद केजरीवाल इन आरोपों से खुद को मुक्त करने और लोगों के बीच एक नया जनादेश हासिल का लक्ष्य रखेंगे. आम आदमी पार्टी जो 2011 में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से पैदा हुई थी, केजरीवाल के इस कदम से उनके आलोचकों पर लगाम लगेगी.