नई दिल्ली. वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है. एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि मोहिनी एकादशी के व्रत के प्रताप से व्यक्ति सभी मोह के जाल से मुक्त होकर बैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त करता है.यह एकादशी समस्त पाप और दुखों का नाश करने वाली तथा सौभाग्य और धन का आशीर्वाद देने वाली मानी गई है. आइए विस्तार से जानते हैं कि कब है मोहिनी एकादशी व्रत,पूजा विधि और मोहिनी एकादशी कथा…
एकादशी तिथि का शुभारंभ -30 अप्रैल, दिन रविवार को रात 08 बजकर 28 मिनट पर.
समापन -1 मई, दिन सोमवार को रात 10 बजकर 09 मिनट पर होगा.
उदया तिथि के अनुसार, मोहिनी एकादशी का व्रत 1 मई को रखा जाएगा.
1 मई, दिन सोमवार को सुबह 9 बजे से 10 बजकर 39 मिनट तक शुभ-उत्तम मुहूर्त रहने वाला है. इस दौरान पूजा करना फलदायी रहेगा. शुभ योग में पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहेगी.
मोहिनी एकादशी के दिन रवि योग बन रहा है. यह बेहद शुभ योग माना जाता है, इसका समय सुबह 5.47 से शाम 5.51 तक है. इस योग में किए जाने वाले कामों में सफलता मिलती है.
अभिजीत मुहूर्तः 11.52 AM से 12.44 PMतक
अमृतकाल मुहूर्तः 10.50 AM से 12.35 PM तक
मोहिनी एकादशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु के सामने बैठकर उनक मोहिनी रूप का ध्यान करें. श्रीहरि को स्नान कराएं और उनका श्रृंगार करें. इसके साथ ही नए कपड़े पहनाएं. भगवान विष्णु को फूल, अक्षत, माला, चंदन, पीले वस्त्र, पीले मिष्ठान आदि अर्पित करें. फिर विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें और व्रत का संकल्प लें. फिर उन्हें भोग लगाएं. भगवान विष्णु की आरती करें और भोग को प्रसाद के रूप में परिवार के बीच बांट दें.
मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा की जाती है. शास्त्रों में वर्णित है कि मोहिनी एकादशी के दिन व्रत रखने से असीम सौंदर्य और तेज बुद्धि मिलती है.इस व्रत को रखने से सौभाग्य बढ़ता है. शरीर का व्यक्त्तिव प्रभावशाली होता है.
मोहिनी एकादशी को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार सागर मंथन के बाद जब अमृत निकला तो उसे पीकर अमर होने के लिए देवताओं और दानवों में तनातनी हो गई. जब युद्ध जैसी नौबत आई तो वैशाख शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धर लिया. अपने रूपजाल में फंसाकर देवताओं को अमृत बांट दिया और दानवों को मदिरा बांटी.
व्रत का पारण 2 मई 2023 को सुबह 05 बजकर 40 मिनट से सुबह 08 बजकर 19 मिनट पर किया जाएगा. इसके बाद व्रत पारण का सीधा समय रात को 11 बजकर 17 मिनट पर है. एकादशी का व्रत हमेशा द्वादशी के दिन संपन्न किया जाता है.