हिंदू पंचांग के मुताबिक साल के प्रत्येक महीने में दो बार चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. एक शुक्ल पक्ष में पड़ती है, जबकि दूसरी कृष्ण पक्ष में पड़ती है. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है.

मान्यता के मुताबिक, संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना की जाती है. संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा आराधना करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में शांति बनी रहती है. इतना ही नहीं इस दिन बप्पा की पूजा आराधना करने से धन, यश, वैभव की प्राप्ति भी होती है.

अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि आश्विन मास की संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 2 अक्टूबर को है, जिसका समय शाम 7:36 बजे से 3 अक्टूबर सुबह 6:11 बजे तक है. बताया कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत नियम अनुसार ही संपन्न करना चाहिए, तभी जातक को उसका फल मिलता है. ब्रह्म मुहूर्त में स्नान ध्यान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. गणेश जी को मोदक अथवा लड्डू का भोग लगाना चाहिए. इस दिन विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करने से जीवन में आई तमाम परेशानियां दूर होंगी.