सावन लग चुका है, इसी के साथ कई सारे तीज-त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। ये महीना सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है। खासकर नई-नवेली विवाहति महिलाओं के लिए। पुरानी परांपरा के अनुसार इस महीने में नवविवाहित स्त्रियां ये महीना सुसराल में नहीं मायके में रहकर गुजारती हैं। मान्यता है कि शादी के बाद पहले सावन में स्त्रियों के अपने मायके जाकर त्योहार मनाने से उनके पति की आयु लंबी होती है तो वहीं उनका दांपत्य जीवन भी खुशहाल रहता है। इसके अलावा इस पराम्परा के पीछे एक वैज्ञानकि कारण भी है।
जानकारी के अनुसार सावन के महीने में शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए, ऐसा करने से सेहत पर विपरीत असर पड़ता है। आइए जानते हैं इस बारे में। क्या एयरफ्रायर में बना खाना सेहत के लिए हेल्दी होता है, जानें यहां सही जवाब ये है कारण आयुर्वेद भी इस बात को मानता है। आयुर्वेद के अनुसार सावन के महीने में व्यक्ति के अंदर रस का संचार ज्यादा होता है। रक्त का संचार बढ़ने की वजह से शारीरिक संबंध बनाने की भावना बढ़ती है। इस मौसम में ज्यादा यौन संबंध बनाने से नवविवाहितों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सावन के महीने में गर्भ ठहरने के कारण होने वाली संतान मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर होने की ज्यादा संभावनाएं होती हैं। यहीं कारण है कि भारतीय संस्कृति में त्योहारों की ऐसी पंरपरा बनाई गई है, जिससे इस महीने में नवविवाहित स्त्रियां अपने मायके जा सकें और भविष्य में स्वस्थ संतान पाने के लिए इस माह वो गर्भ धारण करने से बच सकें।
ये है धार्मिक कारण धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को काम का शत्रु माना जाता है। पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार सावन के महीने में कामदेव ने भगवान शिवजी पर बाण चलाया था, जिससे शिवजी को गुस्सा आ गया और कामदेव को भस्म कर दिया।