नई दिल्ली. साल का अंतिम सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर दिन मंगलवार को पड़ रहा है. इस सूर्यग्रहण के कारण दीपावली के बाद आने वाले त्योहार की तिथियां आगे बढ़ गई हैं. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए. धार्मिक पुराणों के उल्लेख अनुसार माना जाता है कि ग्रहण काल के दौरान जो व्यक्ति जितना अधिक अनाज खाता है, उसे उतने वर्षों तक नरक की यातनाएं झेलनी पड़ती हैं. इसके अलावा ऐसा भी उल्लेख पाया गया है कि सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के दौरान खाना खाने से व्यक्ति पेट के रोगों से पीड़ित होता है. आइए जानते हैं भोपाल के रहने वाले ज्योतिषी एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से कि आखिर क्यों ग्रहण के दौरान भोजन करना अशुभ माना गया है.

-हिंदू धार्मिक पुराणों में बताया गया है कि ना सिर्फ सूर्य ग्रहण बल्कि चंद्र ग्रहण के समय भी भोजन नहीं करना चाहिए. इसके अलावा ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि ग्रहण लगने के कुछ समय पहले खाद्य पदार्थों में कुश या तुलसी के पत्ते डाल देना चाहिए और ग्रहण के समाप्त हो जाने के बाद इसे घर से बाहर फेंक दें. स्नान करने के बाद ही भोजन ग्रहण करें. ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रहण के दौरान जो जीवाणु वातावरण में होते हैं वह आपके शरीर में चिपक जाते हैं. इसलिए स्नान करने से यह जीवाणु आपके शरीर से निकल जाएंगे.

– यदि बात करें वैज्ञानिक दृष्टिकोण की तो वैज्ञानिक परीक्षणों में यह बातें सामने आई हैं कि सूर्य ग्रहण के समय वातावरण में आने वाली पराबैंगनी किरणों से भोजन विषैला हो जाता है. इसलिए पके हुए भोजन पर कुश या तुलसी की पत्तियां अवधि के रूप में रखते हैं या फिर ज्यादातर ग्रहण के दौरान लोग उपवास रखते हैं.

-वैसे तो ग्रहण के दौरान भोजन करने की मनाही होती है, लेकिन कुछ अवस्थाओं में कुछ लोगों को भोजन करने की रियायत दी जा सकती है. जैसे बुजुर्ग, छोटा बालक, गर्भवती महिला या रोगी भोजन कर सकते हैं. मान्यताओं के अनुसार यदि आवश्यकता हो तो यह सभी लोग सूर्य ग्रहण से एक घंटा पहले भोजन कर सकते हैं.