नई दिल्ली| हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। किसी भी मांगलिक कार्य में तुलसी का उपयोग निश्चित रूप से किया जाता है। बता दें कि आज यानि 25 अक्टूबर 2022 के दिन इस साल का अंतिम सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह सूर्य ग्रहण दोपहर 2:29 से शाम 6:32 तक रहेगा। इस बीच सूतक काल के दौरान लोगों को कई प्रकार की सावधानियां बरतनी होंगी। मान्यता है कि सूतक काल में ना तो खाना बनाना चाहिए और ना ही किसी भी प्रकार का अन्न ग्रहण करना चाहिए।

इसके साथ ग्रहण के दौरान शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का सबसे अधिक ध्यान रखना चाहिए। यही कारण है कि शास्त्रों में सूर्य ग्रहण के दौरान तुलसी के पत्ते के सेवन का और इन्हें इस्तेमाल करने की विधि का विस्तार से वर्णन किया गया है। आइए जानते हैं कि क्या है तुलसी के पत्ते का महत्व और ग्रहण के दौरान किस प्रकार का नुस्खा अपनाना चाहिए।

हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण को बहुत ही गंभीरता से लिया जाता है। इस दौरान खाने-पीने तक की मनाही होती है। मान्यता है कि ग्रहण के प्रभाव को कम करने के लिए खाने में तुलसी के पत्ते डाल देना चाहिए। इससे भोजन अपवित्र नहीं होता है और ग्रहण के बाद इन्हें खाया जा सकता है।

शास्त्रों में बताया गया है कि ग्रहण के दौरान सूतक काल लगने से वातावरण में नकारात्मक उर्जाओं का संचार होता है। जिससे सभी प्रकार की चीजें अशुद्ध हो जाती हैं। यही कारण है कि ग्रहण के बाद स्नान करने का नियम ज्योतिष शास्त्र में वर्णित है। वहीं तुलसी को सबसे पवित्र पौधा माना जाता है इसलिए इनके पत्ते खाने में डालने से ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। वहीं खाना अशुद्ध नहीं होता है। इसके साथ आयुर्वेद में भी तुलसी को बहुत ही महत्वपूर्ण पौधा बताया गया है। इसमें पाए जाने वाले औषधीय गुण व्यक्ति के लिए बहुत फायदेमंद साबित होते हैं।