रामपुर। आजम खां को सोमवार को एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट ने डूंगरपुर प्रकरण को में सजा सुनाई। डेढ़ साल यह ऐसा पांचवा मामला है, जिसमें आजम को सजा हुई है। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता रहे आजम दस बार विधायक, चार बार कैबिनेट मंत्री, एक बार राज्यसभा और एक बार लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। सीतापुर जेल में बंद आजम के खिलाफ अब तक 108 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं, जिसमें से 83 मुकदमों में ट्रायल चल रहा है। इनमें से अधिकतर मामले 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आजम के विवादित बयानों के चलते दर्ज हुए। दो मामले में उन्हें बरी भी किया जा चुका है। बरी किए गए एक मामले को अभियोजन की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
सपा नेता आजम खां के खिलाफ 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उनके विवादित बयानों के चलते कई मुकदमे दर्ज हुए। सपा नेता आजम खां पर रामपुर, मुरादाबाद, फिरोजाबाद समेत अन्य जिलों में कुल 108 मुकदमे पंजीकृत हुए थे, जिसमें 83 मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं। बिजनौर जेल में बंद पूर्व पालिकाध्यक्ष अजहर अहमद खां और रिटायर्ड सीओ आले हसन व बरेली के ठेकेदार बरकत अली को कोर्ट ने पहली बार सजा सुनाई है। पूर्व पालिकाध्यक्ष अजहर अहमद खां सपा नेता आजम खां के करीबी माने जाते हैं। उन पर 25 मुकदमे दर्ज हैं। इसी तरह बुलंदशहर निवासी रिटायर्ड सीओ आले हसन सपा शासन में यहां पर एक बार सिविल लाइंस इंस्पेक्टर जबकि दूसरी बार सीओ सिटी भी रहे।
आले हसन पर कुल 59 मुकदमे विचाराधीन हैं। आले हसन सपा नेता के करीबी रहे हैं। इसके अलावा बरेली निवासी ठेकेदार बरकत अली भी सपा नेता आजम खां के करीबी हैं। इन तीनों को पहली बार किसी कोर्ट ने सजा सुनाई है। डूंगरपुर बस्ती में घर में घुसकर मारपीट करने और धमकाने के मामले में कोर्ट ने अपना फैसला 61 पेज में सुनाया। जिसमें अभियोजन पक्ष के बयान दस्तावेजी साक्ष्य हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट की नजीरें पेश की गई हैं। इसके साथ ही बचाव पक्ष द्वारा दी गई दलीलें पेश की गईं। नजीरों का भी उल्लेख किया गया है। साथ ही आरोपियों का आपराधिक इतिहास और बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं द्वारा उम्र व स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कम सजा देने का जिक्र किया गया है।
डूंगरपुर बस्ती को खाली कराने के नाम पर मारपीट, लूटपाट व डकैती डालने जैसे कुल 12 मामले गंज थाने में दर्ज किए गए थे, जिसमें से एक मामले में सपा नेता आजम खां बरी हो चुके हैं। दूसरे मामले में सोमवार को आरोपियों को सजा सुना दी गई। इसी तरह के एक अन्य मामले में अब 21 मार्च को भी कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है।
इन मामलों में हुई सजा
27 अक्तूबर 2022 को मिलक में दर्ज लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा तीन वर्ष कैद व दो हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, सेशन कोर्ट ने इस मामले में उनको बरी कर दिया था। यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
15 फरवरी 2023 को मुरादाबाद के थाना छजलैट में दर्ज मुकदमे में एमपी-एमएलए कोर्ट मुरादाबाद द्वारा दो वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई।
– 15 जुलाई 2023 को शहजादनगर थाने में दर्ज नफरती भाषण के मामले में दो वर्ष के कारावास तथा 2500 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई।
– 18 अक्तूबर 2023 को थाना गंज में दर्ज अब्दुल्ला के फर्जी जन्म प्रमाणपत्र के मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा सात वर्ष की सजा व 50 हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई गई।
– 18 मार्च 2024 डूंगरपुर बस्ती को खाली कराने के एक मामले में उन्हें सात साल की कैद और आठ लाख रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई गई।