गाजा। फलस्‍तीन के बेहद पिछड़े इलाकों में से एक गाजा में इन दिनों जमकर प्‍लास्टिक को जलाया जा रहा है। पर्यावरण को होने वाले नुकसान को दरकिनार कर यहां की छोटी बड़ी फैक्ट्रियों में ये काम बड़े धड़ल्‍ले से हो रहा है। हैरानी की बात ये है कि प्‍लास्टिक को जलाने का ये काम प्‍लास्टिक के कचरे को खत्‍म करने के मकसद से नहीं बल्कि सस्‍ते डीजल के लिए किया जा रहा है।

गाजा उन इलाकों में शामिल है जहां पर तेल की कीमत अन्‍य जगहों के मुकाबले कहीं अधिक है। गौरतलब है कि गाजा को लेकर फलस्‍तीन और इजरायल के बीच काफी समय से संघर्ष चल रहा है। बीते 15 वर्षों से इजरायल ने इसके कुछ हिस्‍से को अपने अधिकार में कर रखा है। लेकिन, अब गाजा के लोगों द्वारा प्‍लास्टिक का इस्‍तेमाल तेल की जगह किए जाने से पर्यावरणविदों की चिंता बढ़ गई है। जानकार इसको बहुत बड़ा खतरा बता रहे हैं।

इस काम को करने वाले महमूद अल काफरनेह ने एएफपी को बताया कि वो कैसे इस काम को करते हैं। उनके मुताबिक उन्‍होंने इस काम को वर्ष 2018 में शुरू किया था। इसकी शुरआत उन्‍होंने इंटरनेट पर सर्च से शुरू की थी। महमूद अपने भाई के साथ उत्‍तरी गाजा के जबालिया में रहते हैं। शुरुआत के कुछ महीनों में नाकाम रहने के बाद आखिरकार उन्‍हें इससे तेल हासिल करने में सफलता मिल ही गई। इससे निकलने वाले क्रुड आयल को टैंक में पाइपलाइन के जरिए भेजा जाता है।

महमूद ने बताया कि इसके लिए वो एक बड़े से टैंक में करीब डेढ़ टन प्‍लास्टिक डाली जाती है। इसके बाद इसमें नीचे लकडि़यां डालकर आग लगाकर इसको पिछलाया जाता है। प्‍लास्टिक के तरल बनने के बाद इससे निकलने वाली भाप से निकले पदार्थ को पाइप के जरिए टैंक में भेजा जाता है, जहां पर ये ठंडा होता है। इससे बूंद-बूंद कर निकलने वाला तेल आखिर में इकट्ठा कर बेचा जाता है। प्‍लास्टिक से तेल निकालने का ये पूरा खेल जान के लिए कितना महंगा साबित हो सकता है इससे महमूद और यहां पर काम करने वाले पूरी तरह से बेखबर हैं।

आलम ये है कि यहां पर काम करने वालों में से बामुश्किल एक दो ही मुंह पर मास्‍क लगाकर रखते हैं। इससे निकलने वाला काला धुंआ आसमान में हवा के साथ लोगों के शरीर में जाता है और बीमारी फैला रहा है। यहां पर काम करने वालों के कपड़े कुछ ही देर में पूरे काले हो जाते हैं। वहीं, इसके उलट महमूद का कहना है कि उसके यहां पर काम करने वालों को इससे कोई शारीरिक परेशानी नहीं होती है। जब से उन्‍होंने ये काम शुरू किया है तब से आज तक किसी को ऐसी कोई दिक्‍कत नहीं है।

महमूद का ये छोटा सा कारखाना रिहायशी इमारतों से कुछ दूरी पर मौजूद है। महमूद का कहना है कि वो यहां पर सुरक्षा के लिए सभी इंतजाम रखते हैं। गाजा नेशनल इंस्टिट्यूट फार एनवायरमेंट के डारयेक्‍टर अहमद हिलीस इसको लेकर काफी चिंतित दिखाई देते हैं। उनका कहना है कि तेल के लिए ये लोग जिस तरह की प्रक्रिया का इस्‍तेमाल करते हैं वो न केवल इनके लिए बल्कि सभी के लिए जानलेवा है।

ये एक धीरे-धीरे जहर पीने के समान ही है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि ये हवा में घुले जहरीले टाक्सिक जहर को सांस के साथ शरीर के अंदर लेते हैं। संयुक्‍त राष्‍ट्र के एनवायरमेंट प्रोग्राम के मुताबिक प्‍लास्टि के जलने से डायोक्सिन, मर्करी और दूसरी खतरनाक गैस निकलती हैं। ये न केवल इंसान के लिए बल्कि जानवरों के लिए भी नुकसानदेह हैं।