जकार्ता: इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रोबोवो सुबियांटो इस महीने के अंत में भारत की यात्रा के बाद मलेशिया जाएंगे। राष्ट्रपति सुबियांटो इस साल भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि हैं। 1950 के बाद से यह चौथी बार है जब कोई इंडोनेशियाई नेता इस अवसर पर उपस्थित होगा। पहले राष्ट्रपति सुबियांटो के भारत के बाद पाकिस्तान जाने की उम्मीद थी लेकिन, मोदी सरकार की नाराजगी को देखते हुए इंडोनेशिया ने प्लान को बदल दिया है। इसे पाकिस्तान के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि वह इंडोनेशियाई राष्ट्रपति के साथ फिर से भारत विरोधी राग अलापने की तैयारी कर रहा था।
भारत गणतंत्र दिवस पर हर साल किसी न किसी राष्ट्राध्यक्ष को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित करता है। 2024 में भारत ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया था। इससे पहले 2023 में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के तौर पर भारत पधारे थे। ऐसे में इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रोबोवो सुबियांटो की गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आगमन को दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों से जोड़कर देखा जा रहा है। भारत और इंडोनेशिया के बीच मजबूत सांस्कृतिक, ऐतिहासिक संबंध हैं, और भारतीय प्रधानमंत्री और इंडोनेशियाई राष्ट्रपति सुबियांटो दोनों ने नवंबर में जी20 ब्राजील शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की थी।
भारत ने डब्ल्यू बुश प्रशासन के दूसरे कार्यकाल के दौरान ही नई दिल्ली आने वाले वैश्विक राजनेताओं के पाकिस्तान जाने की नीति का विरोध करना शुरू कर दिया था। इसे डी-हाइफ़नेशन नीति के तौर पर देखा जाता है। इसका प्रमुख उद्देश्य भारत के प्रति अमेरिकी विदेश नीति को पाकिस्तान के प्रति अपनी नीति से अलग करना था। भारत की इसी नीति के तहत फरवरी 2019 में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद ने एक महीने में अलग-अलग भारत और पाकिस्तान की यात्रा की थी।