इस्लामाबाद. पाकिस्तान एक गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। ऊपर से यहां आई बाढ़ ने पड़ोसी मुल्क की परेशानी को और बढ़ा दिया है। यहां मंहगाई का आलम यह है कि पाकिस्तान के सबसे संपन्न प्रांत पंजाब में बीते रविवार को टमाटर के दाम 500 रुपये प्रति किलोग्राम और प्याज के दाम 400 रुपये में पहुंच गए थे।
इस बीच नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने 1.17 अरब अमेरिकी डॉलर (9300 करोड़ से अधिक) की मंजूरी दे दी है। यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। ऐसे में गिरती मुद्रा, खाली होते विदेशी मुद्रा भंडार और बढ़ती महंगाई के बीच IMF की इस मदद से पाकिस्तान के हालात कितने सुधरेंगे। आइए जानते हैं…
पाकिस्तान में पिछले दिनों हुए सियासी घटनाक्रम के बीच आर्थिक हालात तेजी से खराब हुए हैं। आर्थिक संकट के बीच ईंधन का आयात प्रभावित हुआ है। इसका सीधा असर बाजार में महंगाई पर भी देखने को मिल रहा है। ऊपर से यहां आई बाढ़ के कारण महंगाई भी तेजी से बढ़ी है। बीती 28 जुलाई को पाकिस्तानी रुपया 239.94 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया था। कल यानी 29 अगस्त को ही डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये को 8.02 का नुकसान हुआ।
पाकिस्तान के ऊपर आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, चीन और अन्य देशों से मिला कर्ज उसकी कुल जीडीपी का 70 फीसदी तक पहुंच चुका है। यह जानकारी खुद स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) के कार्यकारी गवर्नर मुर्तजा सैयद ने जुलाई में दी थी। पाकिस्तान के ऊपर इस समय कुल 43 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये का कर्ज है। इसमें से 18 लाख करोड़ रुपये का कर्ज पिछले तीन साल के दौरान लिया गया है। लगातार घट रहे विदेशी मुद्रा भंडार और गोल्ड रिजर्व के कारण पाकिस्तान के लिए इस कर्ज की किस्तें चुकाना भी बहुत बड़ी चुनौती साबित हो रहा है।
पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के बीच जुलाई, 2019 में छह अरब डॉलर का समझौता हुआ था। हालांकि, जनवरी 2020 के बाद यह समझौता अटक गया। इसके बाद कुछ समय के लिए इसे बहाल किया गया, लेकिन बाद में फिर से वैसे ही हालात हो गए। अब इसी समझौते के तहत आईएमएफ ने नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को 7वीं और 8वीं किस्त के रूप में 1.17 अरब अमेरिकी डॉलर (9300 करोड़ से अधिक) के फंड को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा ईएफएफ कार्यक्रम के तहत कुल राशि सात अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है और इसका विस्तार जून, 2023 तक कर दिया है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिली मंजूरी के बाद ही यहां के शेयर बाजार ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। मंगलवार को पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले 2.92 रुपये मजबूत हुआ है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए यह अच्छे संकेत हैं। उसे यह फंड मिलना बहुत जरूरी था। इसकी मदद से पाकिस्तान प्रभावित हुई ईंधन के आयात को फिर से पटरी पर लाने का प्रयास करेगा, जिससे महंगाई को काबू किया जा सके। इसके अलावा आईएमएफ का निर्णय पाकिस्तान के मित्र देशों को अधिक सहायता प्रदान करने के लिए भी प्रेरित करेगा। वहीं कर्ज के बोझ और विदेशी मुद्रा भंडार को भी संभालने में पाकिस्तान को मदद मिलेगी।