नई दिल्ली. हर रत्न का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है. ऐसे में जब किसी के कुंडली में ग्रह कमजोर होता है तो उसे रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. ज्योतिषियों के मुताबिक ग्रहों का संबंध पेड़ों से भी होता है. शनि ग्रह का संबंध शमी के पेड़ से बताया जाता है. नीलम काफी महंगा रत्न है. ऐसे में लोग नीलम का विकल्प यानी नीली या फिर शमी की जड़ अपने हाथ में बांध सकते हैं. इन दोनों को नीलम का विकल्प माना गया है. शमी के पेड़ की जड़ बाजार में बहुत सस्ती मिल जाती है. वहीं नीली भी आसानी से रत्न का काम करने वालों के यहां आसानी से मिल जाती है.

नीलम को शनि देव का प्रिय रत्‍न माना जाता है. इस रत्‍न को पहनने से व्‍यक्‍ति के मन से लालच और बेईमानी दूर होती है. इस स्‍टोन को पहनने से व्‍यक्‍ति की कुशलता बढ़ती है और जातक मुश्किल से मुश्किल काम भी बड़ी आसानी से कर पाता है. ये रत्‍न व्‍यक्‍ति को सही निर्णय लेने में भी सक्षम बनाता है. ऐसे में अगर आपको निर्णय लेने में दिक्‍कत होती या आप असमंजस में रहते हैं तो आपकी इस समस्‍या को शनि का रत्‍न दूर कर सकता है.

शमी का पौधा, तेजस्विता एवं दृढता का प्रतीक है. इसमें प्राकृतिक तौर पर अग्नि तत्व की बहुलता होती है. जन्मकुंडली में यदि शनि से संबंधित कोई भी दोष है तो शमी के पौधे को घर में लगाना और प्रतिदिन उसकी सेवा-पूजा करने से शनि की पीड़ा समाप्त होती है. शनिवार को सरसों के तेल का दीपक शमी के वृक्ष के नीचे जलाने की मान्‍यता के अलावा शमी वृक्ष के फूल और पत्तों के प्रयोग से शनि का कुप्रभाव शांत होता है. शमी का पेड़ लगा रहने से टोने टोटके और नकारात्मक ऊर्जा का घर पर प्रभाव नहीं पड़ता है.

शमी की जड़ को घर में लाकर उसे सबसे पहले गंगाजल से शुद्ध कर लें. इसके बाद उसे काले या नीले कपड़े में बांध लें. साथ ही आपको बता दें कि शमी के पेड़ की जड़ को शनिवार या शनि के नक्षत्र में शाम के समय हाथ में बांध सकते हैं. इसे बांधने के बाद शनि के बीज मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: का 108 बार जाप करें और फिर इसे किसी वेदपाठी ब्राह्राण से हाथ में बंधवा लें.