मुंबई. साल 2010 में बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान की एक मूवी आई थी, जिसका नाम है ‘माई नेम इज खान’ इसमें ‘एसआरके’ को बचपन से ही एक मानसिक बीमारी थी जिसे ‘एस्पर्जर सिंड्रोम’ कहा जाता है. जब आप किसी ऐसे इंसान से मिलते हैं जिसे ये मेंटल डिजीज है, तो आप तुरंत दो चीजों को नोटिस कर सकते हैं. वो अन्य लोगों की तरह ही स्मार्ट हैं, लेकिन उन्हें सोशल स्किल सीखने में काफी परेशानी होती है. जब वो किसी एक टॉपिक फोकस करता है, तो बार-बार वैसा ही बिहेव करने लगता है. आइए जानते हैं कि इसके लक्षण को कैसे पहचानें.
ये बीमारी बचपन में ही शुरू हो जाती है, एक पैरेंट के तौर पर आप देख पाएंगे कि आपका बच्चा आई कॉन्टैक्ट करने से हिचकिचाता है. वो ये नहीं समझ पाता कि जब नजरें मिलें तो तो क्या कहना है या जब कोई उनसे बात करता है तो कैसे रिएक्ट करना है.
जो बच्चा ‘एस्पर्जर सिंड्रोम’ का शिकार है वो काफी इंट्रोवर्ट होता है, वो किसी से बात करने या नए दोस्त बनाने से घबराता है. उसे हाथ मिलाने या हाई करने वाले सोशल लैंग्वेज पर रिस्पॉन्ड करने में दिक्कत होती है.
‘एस्पर्जर सिंड्रोम’ से पीड़ित बच्चे अपने इमोशन को काफी कम जाहिर करते है. अगर वो खुश हैं तो स्माइल नहीं करते और अगर गुस्सा हैं तो भौहें नहीं चढ़ाते, वो किसी मशीन या रोबोट की तरह बिहेव करते हैं.
जब बच्चा किसी से भी घुलने मिलने से बचता है तो ऐसे में ज्यादातर वक्त वो खुद के साथ बिताना पसंद करता है और अक्सर अपने आप से बात करता है. वो एक बात को बार बार रिपीट करता है.
ऐसे बच्चे कोई भी नई चीजें ट्राई करने से बचते हैं, जैसे वो रोजाना एक ही तरह का नाश्ता करना पसंद करते है. अगर उन्हें किसी नई जगह घुमाने ले जाया जाए तो उन्हें काफी घबराहट होती है. ‘माई नेम इज खान’ में भी जब शाहरुख खान पहली बार अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर गए थे तो उन्हें नया महौल देखकर का डर लगा था.