अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने यूरेनस की नई तस्वीरें शेयर की हैं. ये तस्वीरें जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप से ली गई हैं. यूरेनस हमारे सौरमंडल का सातवां ग्रह है जिसे हिंदी में अरुण ग्रह जाता है.
जब साल 1986 में वोयजर 2 स्पेसक्राफ्ट यूरेनस के पास के होकर गुज़रा था तो उसके कैमरे में यूरेनस की नीली-हरी बॉल जैसी तस्वीर दिखाई दी थी. इसमें रोशनी के छल्ले नहीं दिखाई दिए थे.
लेकिन नासा के अनुसार इंफ्रारेड वेवलेंथ की मदद से जेम्स वेब ने यूरेनस की अभी जो तस्वीरें ली हैं उससे पता चलता है कि ग्रह के चारों ओर चमकदार छल्ले हैं.
सौरमंडल के अन्य ग्रहों से अलग यूरेनस की एक खास विशेषता है. ये अकेला ग्रह है जो अपनी धुरी पर लगभग 90 डिग्री के झुकाव के साथ घूमता है.
इसके कारण ग्रह पर जो भी मौसम रहता है वो चरम पर होता है. यहां पर ध्रुवीय इलाक़ों में सालों तक सूरज की रोशनी रहती है और फिर उतने ही सालों तक घना अंधेरा रहता है.
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यूरेनस पर एक दिन 17 घंटे, 14 मिनट का होता है यानी इतने समय में वो अपनी धुरी पर पूरी तरह घूम जाता है. लेकिन, इसका एक साल पृथ्वी के 84 सालों यानी 30,687 दिन के बराबर होता है. यानी इस ग्रह को सूरज का एक चक्कर पूरा करने में 84 साल का समय लगता है.
माना जाता है कि यूरेनस के चारों ओर 13 छल्ले हैं और जेम्स बेव से ली गई तस्वीर में इनमें से 11 छल्ले देखे गए हैं. कुछ छल्ले इतने अधिक चमकीले दिख रहे हैं कि वो एक बहुत बड़ा छ्ल्ला बनाते दिखते हैं.
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि भविष्य में मिलने वाली तस्वीरों में दो और छल्ले दिखाई दे सकते हैं. इन छल्लों की जानकारी 2007 में मिली थी.
इस तस्वीर से यूरेनस के 27 ज्ञात चंद्रमाओं में से कुछ के बारे में भी पता चलता है. हालांकि, इनमें से कुछ चंद्रमा इतने छोटे हैं कि वो दिखते भी नहीं हैं.
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नेपच्यून (वरूण ग्रह) और यूरेनस को बर्फ़ से भरे ग्रह भी कहा जाता है क्योंकि वो जमे हुए पानी, मीथेन और अमोनिया से बने हैं. हालांकि, ये दोनों बृहस्पति (ज्यूपिटर) और शनि (सैटर्न) की तरह गैसीय ग्रह भी हैं.
इस तस्वीर में दिख रहा चमकदार ध्रुवीय हिस्सा सूर्य की तरफ़ है, इसे पोलर कैप कहा जाता है. ये हिस्सा ग्रह के दाईं तरफ़ मौजूद है.
जब ये ध्रुवीय हिस्सा सूरज की रोशनी में आता है तो ये कैप उभरता है और सूरज के ढलने पर गायब हो जाता है. ये कैसे होता है इसका अब तक पता नहीं चला है.
पोलर कैप के किनारे पर चमकदार बादल है और ग्रह के सुदूर बाईं तरफ़ दूसरा चमकदार बादल है. ये बादल संभवत: बर्फ़ीले तूफ़ान से जुड़े हैं.
नासा के मुताबिक़ ये तस्वीर तब आ पाई है जब यूरेनस 12 मिनट तक दो फिल्टर के साथ कैमरे के सामने रहा है. लेकिन, नासा के अनुसार जेम्स वैब टेलिस्कोप से मिली जानकारी अभी भी इस ग्रह को समझने के लिहाज़ से काफी कम है.
10 अरब डॉलर के जेम्स बेव स्पेस टेलिस्कोप को दिसंबर 2021 में लॉन्च किया गया था. मशहूर हबल स्पेस टेलिस्कोप की तुलना में इसे ज़्यादा आधुनिक बताया गया.
ये अंतरिक्ष की तमाम बारीकियों की निगरानी कर सकता है, लेकिन प्रमुख रूप से इसके दो लक्ष्य हैं. पहला, ब्रह्मांड में 13.5 अरब साल से भी पहले से चमकने वाले सबसे पहले सितारों की तस्वीरें लेना और दूसरा, ऐसे ग्रहों की तलाश करना है जहां जीवन की उम्मीद हो.