प्रयागराज. प्रयागराज नगर निगम में माफिया के खिलाफ योगी सरकार का एक्शन सफल रहा। निकाय चुनाव की आहट शुरू होते ही विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवा उमेश पाल और उनके दो अंगरक्षकों की गोली मारकर हत्या के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई। इसका सीधा असर निकाय चुनाव पर देखा गया। इसके बाद शुरू हुए ताबड़तोड़ कार्रवाई में माफिया अतीक के बेटे असद और शूटर गुलाम का 13 अप्रैल को एनकाउंटर कर दिया गया। इसके पहले शूटर अरबाज और विजय चौधरी उस्मान को पुलिस ने मार गिराया था। 15 अप्रैल को कॉल्विन अस्पताल के गेट पर माफिया अतीक और अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसका काफी असर चुनाव पर देखा गया और भाजपा को इसका पूरा लाभ मिला।

भाजपा ने निवर्तमान महापौर अभिलाषा गुप्ता नंदी का टिकट काटकर भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता उमेश चंद गणेश केसरवानी पर दांव लगाया था, जो काफी सफल रहा। कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी की नाराजगी का भी चुनाव पर कोई असर नहीं दिखता नजर आ रहा है। नंदी ने पत्नी को भाजपा से महापौर का टिकट न मिलने पर काफी नाराजगी जाहिर की थी और इसका गुस्सा प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर उतारा था।

विधानसभा चुनाव में नंदी के खिलाफ शहर दक्षिणी से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके रईस चंद शुक्ला को भाजपा में शामिल कराने पर नंदी ने डिप्टी सीएम केशव को आड़े हाथों लेते हुए खरी खोटी सुनाई थी। इससे लग रहा था कि नगर निगम महापौर के चुनाव में नंदी की नाराजगी का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है, लेकिन अतीक अहमद और अशरफ के खिलाफ हुए ताबड़तोड़ ऐक्शन और माफिया बंधुओं की पुलिस कस्टडी में हत्या के बाद शहर की राजनीति बदल गई और इसका पूरा फायदा भाजपा को मिला। मतदान से दो दिन पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफिया अतीक अहमद के इलाके में जनसभा कर भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ही आम जनमानस को काफी प्रभावित किया।
बगावत के बावजूद भाजपा ने बनाई बढ़त

निकाय चुनाव में टिकट कटने के कारण भाजपा के कई कद्दावर नेताओं ने भी पार्टी से बगावत कर दी। कई ने तो खुद मैदान में उतरकर भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ा जबकि तमाम नेताओं ने विरोधी पार्टी के प्रत्याशियों का चोरी चुपके समर्थन कर भाजपा को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया। मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने टिकट न मिलने पर सार्वजनिक रूप से नाराजगी जाहिर कर पार्टी में हलचल पैदा कर दी। हालांकि उन्होंने टिकट की चर्चा न करके सपा नेता रईस चंद शुक्ला को भाजपा में शामिल करने का आधार बनाया, लेकिन यह सबको पता था कि उनकी नाराजगी किसलिए है।

इसी तरह कई वार्डों में जहां भाजपा के कद्दावर नेता जिन्हें पार्षद का टिकट नहीं मिलने पर वह बागी हो गए। राजरूपपुर से कई बार पार्षद रह चुके अखिलेश सिंह ने इस बार टिकट न मिलने पर भाजपा के खिलाफ ही ताल ठोक दिया। फिलहाल वह कई राउंड की मतगणना में वह भाजपा के गुलाब से पीछे चल रहे हैं। इसी तरह कई अन्य वार्डों का भी हाल है। भाजपा और केशव प्रसाद की बैठकों से निवर्तमान महापौर अभिलाषा गुप्ता ने भी दूरी बनाए रखी।

माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या से सपा को काफी नुकसान उठाना पड़ा। सपा ने कानून व्यवस्था को मुद्दा बनाते हुए प्रचार किया, लेकिन इसका फायदा नहींं हुआ। स्थिति यह रही कि माफिया अतीक अहमद के इलाके में सपा की अपेक्षा कांग्रेस को अच्छी बढ़त मिली। अतीक के इलाके में मतदान प्रतिशत हालांकि कम रहा लेकिन जितने वोट पड़े उसमें सपा के प्रति नाराजगी दिखी।

अतीक के इलाके में मतगणना के दिन मतदताओं में काफी गुस्सा दिखा। वह भाजपा से ज्यादा सपा के खिलाफ मुखर थे। मुस्लिम वोटरों का मानना था कि सपा मुखिया अखिलेश यादव के द्वारा विधानसभा में उकसाने के कारण योगी ने अतीक को निशाने पर लिया था। यदि अखिलेश उमेश पाल हत्याकांड को लेकर सरकार पर तंज न कसते तो शायद स्थिति कुछ और होती। मतदाताओं के मूड़ को भांपने के कारण ही अखिलेश यादव प्रयागराज में चुनावी सभा करने के लिए नहीं पहुंचे थे।
प्रयागराज मेयर पद पर दूसरे राउंड की गिनती में मिले मत

भाजपा -गणेश केसरवानी 23470

सपा- अजय श्रीवास्तव 10196

कांग्रेस – प्रभा शंकर मिश्रा 3299

बसपा- सईद अहमद 3898

आप – मो कादिर 1026