दिल्ली : बिहार विधानसभा में सीएम नीतीश कुमार ने जनसंख्या नियंत्रण पर बोलते हुए अपनी सरकार की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए अपनी जो भद पिटवाई है उसके चलते शायद वो खुद ही कभी अपने आपको माफ नहीं कर पाएंगे .
आज विधानसभा में बोले हुए उनके शब्द महिलाओं को सिर्फ अपमानित ही करेंगे. अपने ही इस वीडियो को जब जब देखेंगे और अपने शब्द सुनेंगे, शर्मिंदगी से उनका सिर झुक जाएगा. सुलझे हुए राजनेता की छवि वाले नीतीश कुमार ने आज जो अपना चेहरा दिखाया है, वह हैरान करने वाला है.
सीएम नीतीश कुमार को सुशासन बाबू कहते हुए उनके प्रति लोगों का सम्मान झलकता था. पर आज उन्होंने जो हरकत की वो कोई टपोरी टाइप का व्यक्ति ही कर सकता है. लालू यादव अपने चुटीले भाषण के लिए दुनिया भर में विख्यात रहे हैं पर उन्होंने भी कभी महिलाओं के लिए इस तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया.
दरअसल आज का दिन बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन था. जाति सर्वे का पार्ट टू यानी आर्थिक सामाजिक सर्वे की रिपोर्ट पेश की गई. प्रदेश में नीतीश कुमार ने 75 परसेंट आरक्षण करने का भी प्रस्ताव पेश किया.
नीतीश कुमार को इन दोनों मुद्दों पर विपक्ष से माइलेज लेने की खुशी बर्दाश्त नहीं हो पाई. इन दो प्रस्तावों को पेश करने के बाद कुमार इतने उत्साहित हो गए कि क्या कुछ बोल गए उन्हें खुद ही नहीं पता.
सीएम नीतीश कुमार ये समझाना चाहते थे कि अगर लड़कियां पढ़ी लिखी होंगी तो जनसंख्या अपने आप कम हो जाएगी. पर इसके लिए वे पूरी यौन क्रिया समझाने लगे. वे बताने लगे कि पहले की महिलाएं आसानी से गर्भवती हो जाती थीं, जबकि अब महिलाएं पढ़-लिख गई हैं, तो यौन क्रियाओं में वे अलग तरह से बर्ताव करती हैं.
नीतीश कुमार का कहना था जब उन्होंने सत्ता संभाली थी जनसंख्या वृद्धि दर 4.3 प्रतिशत थी पर लड़कियों की शिक्षा में सुधार के चलते यह 2.9 प्रतिशत तक आ गई है. जब नीतीश कुमार जिस भाव भंगिमा से यह सब कह रहे थे उस दौरान उनके मंत्रिमंडल के साथी भी असहज हो उठे . कुछ ने एक दूसरे का मुंह देखा तो कुछ ने मुस्कुराकर सिर झुका लिया.
इसी साल मार्च महीने में विधानसभा में नीतीश कुमार ने एक बार पुरुषों के सेक्स के बारे में बात करते हुए कहा था कि कितनो मेहतन करिएगा आदमी तो गड़बड़ करता ही है. हम लोग तो देखे हैं भाई , जब हम एमपी थे तब की बात है , सुबह सुबह एक आदमी जनवरे के साथ कर रहा था. ये बताते हुए वे भाव भंगिमा के साथ एक्शन भी उसी तरह दिखा रहे थे.
पिछले कुछ दिनों से नीतीश कुमार के बयानों के देखने से लगता है कि उनमें स्थायित्व और गंभीरता कम होती जा रही है. इसके पहले भी विधानसभा में इधर कई बार आपा खो चुके हैं. महागठबंधन को लेकर उनके बयान हर रोज बदलते रहते हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों को समझ में नहीं आता कि कब नीतीश कुमार एनडीए में जा रहे हैं और कब आरजेडी से जन्म जन्म का रिश्ता बता देंगे. हर दिन के उजाले के साथ उनके वक्तव्य बदल जाते हैं. अभी कुछ दिन पहले नीतीश कुमार अपने एक मंत्री के पिता के श्रद्धांजलि समारोह में गए थे. वहां उन्होंने श्रद्धांजलि के रखे पुष्पों को पिता के चित्र पर चढ़ाने के बजाए अपने मंत्री पर फेंकते नजर आए थे.
विपक्ष उन पर लगातार उनके पहले वाले नीतीश कुमार न होने का आरोप लगाता रहा है. अब इस घटना के बाद वास्तव में उनके व्यक्तित्व पर प्रश्नचिह्न लग गया है.