दिल्ली । विश्व कप के फाइनल में भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा। अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में मिली हार ने करोड़ों प्रशंसकों का सपना तोड़ दिया। भारत को ऑस्ट्रेलिया ने छह विकेट से हराकर छठी बार खिताब जीत लिया। राहुल द्रविड़ का बतौर कोच मौजूदा कार्यकाल का यह आखिरी मैच था। 2021 में टीम इंडिया की जिम्मेदारी संभालने वाले द्रविड़ का कार्यकाल विश्व कप फाइनल के साथ समाप्त हो गया। अब वह आगे टीम के साथ रहेंगे या नहीं, इसे लेकर कुछ भी साफ नहीं है।

राहुल द्रविड़ के लिए यह हार काफी बड़ी रही। 2003 विश्व कप में जब टीम इंडिया फाइनल तक पहुंची थी तब द्रविड़ टीम के उप-कप्तान थे। दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार मिली थी। उनके पास इस बार बतौर कोच कंगारू टीम से बदला लेने का मौका था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। द्रविड़ का दुख कम होने की जगह और बढ़ ही गया। यह उनके चेहरे पर साफ देखने को मिला। वह खिलाड़ियों को शांत कर रहे थे, लेकिन खुद अंदर ही अंदर टूटे हुए नजर आ रहे थे। यह तय नहीं है कि वह कोच की भूमिका में बने रहेंगे या नहीं। उनका दो साल का अनुबंध समाप्त हो गया है।

द्रविड़ ने मौजूदा कार्यकाल के आखिरी मैच में वही काम किया जो वह हर मैच के दौरान करते नजर आए थे। रविवार को मैच से पहले फील्डिंग कोच टी दिलीप के साथ मैदान पर गए। पिच को हथेलियों से छुआ। एक छोर से दूसरे छोर तक गए। उनके बाद कप्तान रोहित शर्मा वहां आए। दोनों ने कुछ देर बात की और फिर चले गए। मैच के दौरान ड्रेसिंग रूम में शांत बैठे दिखाई दिए और मैच के बाद खिलाड़ियों को शांत किया। वह अपने अंदर के दुखों को दबाकर टीम के साथ खड़े थे। मैच में जीत के समय टीम के पीछे रहने वाले द्रविड़ मैच में हार के बाद खिलाड़ियों के आगे नजर आए। वह अपने टीम के साथ मुश्किल परिस्थितियों में खड़े रहें।

राहुल द्रविड़ से फाइनल मैच के बाद जब आगे कोच बने रहने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मैंने इसके बारे में नहीं सोचा है। अभी मेरे पास इस बारे में सोचने का समय नहीं था और इस पर विचार करने का भी समय नहीं था। हां, जब मुझे ऐसा करने का समय मिलेगा तो मैं ऐसा करूंगा। इस समय मैं पूरी तरह से इस अभियान पर केंद्रित था।मेरे दिमाग में और कुछ नहीं था। भविष्य में क्या होगा इसके बारे में मैंने कोई अन्य विचार नहीं किया है।”

मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई थी कि बीसीसीआई ने द्रविड़ के साथ अब तक नए अनुबंध को लेकर कोई बात नहीं की है। भारत के पूर्व कप्तान और उनके सहयोगी स्टाफ के पास विश्व कप तक का अनुबंध था और कोचिंग टीम के भविष्य को लेकर बीसीसीआई के भीतर अलग-अलग दृष्टिकोण थे। शुरुआत में द्रविड़ की कोचिंग शैली को लेकर बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारियों को आपत्ति थी, लेकिन भारतीय टीम के हालिया प्रदर्शन ने उन धारणाओं को बदल दिया है।

भारत ने विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन किया। फाइनल को छोड़ दें तो पूरे टूर्नामेंट में टीम ने दबदबा बनाए रखा। ऐसे में अनुबंध नवीनीकरण या विस्तार की संभावना प्रबल हो सकती है। हालांकि, अहम सवाल यह है कि क्या द्रविड़ खुद भी पद पर बने रहने के इच्छुक हैं। जब उन्होंने 2021 में पदभार संभाला तो शुरुआती धारणा यह थी कि वह एक अनिच्छुक कोच थे। उनके कुछ करीबी लोगों ने सुझाव दिया था कि टीम के प्रदर्शन की परवाह किए बिना वह विश्व कप के बाद स्वेच्छा से पद छोड़ सकते हैं। हालांकि, संभावित विस्तार पर द्रविड़ का वर्तमान रुख किसी को पता नहीं है। पिछले महीने या उससे पहले द्रविड़ से उनके भविष्य को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है।

द्रविड़ कोच पद पर रहे या नहीं, यह अनुमान है कि उनके सहयोगी स्टाफ के सदस्यों का अनुबंध बढ़ाया जा सकता है। बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौड़, गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे और क्षेत्ररक्षण कोच टी दिलीप को आगे टीम के साथ जोड़े रखा जा सकता है।