लखनऊ : एक पुरानी कहावत कहें या फिर फिल्मी डायलॉग.. शेर जब आदमखोर हो जाए तो उसे गोली मार देनी चाहिए. वन विभाग के कर्मचारी-अधिकारी और पूरी सरकारी मशीनरी यूपी के बहराइच में जिन आदमखोर भेड़ियों को जिंदा पकड़ने की कोशिश कर रहे थे. अब उन्हें ये हुक्म दिया गया है कि आदमखोर भेड़ियों को देखते ही गोली मार दी जाए. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि इन भेड़ियों के मुंह इंसान का खून लग चुका है. प्रभावित इलाकों में हालात बेहद नाजुक बने हुए हैं.

दिन भर की मेहनत के बाद जब लोगों को अपने-अपने घरों में होना चाहिए, लोग गांव गलियों में लाठी-डंडों और हथियारों के साथ घूमने को मजबूर हैं. रात-रात भर जाग कर निगरानी हो रही है, कहीं थर्मल इमेजिंग सिस्टम से लैस ड्रोन कैमरे उड़ाए जा रहे हैं, कहीं अस्लहों से लैस जन प्रतिनिधि आदमखोर भेड़ियों के पग मार्क ढूंढ रहे हैं. और कहीं वन विभाग से लेकर पुलिस तक घूम-घूम कर मुनादी कर रही है. लोगों को बता रही है कि उनकी अपनी सुरक्षा अपने हाथ है.

लोगों को बाहर नहीं बल्कि घरों के अंदर सोना है और वो भी दरवाज़े खिड़कियां अच्छी तरह से बंद करके. लेकिन इन सारे जतन के बावजूद हालत कितनी खराब है, इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अब बात निगरानी, पटाखे, पिंजरों और बेहोशी से आगे बढ़ कर सीधे गोलियों तक जा पहुंची है. यानी सरकार ने तय कर लिया है कि अब अगर ये भेड़िये पकड़ में नहीं आए तो उन्हें गोली मारी जा सकती है.

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले से कुछ तस्वीरें आई हैं. जिले के लगभग 35 गांव करीब डेढ़ महीने से आदमखोर भेड़ियों के आंतक से कांप रहे हैं. गांव वालों के साथ-साथ शासन प्रशासन से लेकर वन विभाग तक सबने दिन रात एक कर रखा है, लेकिन फिर भी कहीं किसी झुरमुट से, खेतों से, गलियों से या फिर टूटे दरवाज़ों से भेड़िया आता है और घर में सो रहे किसी मासूम बच्चे को उठा ले जाता है.

महज डेढ़ महीने में ही इस इलाके में भेड़ियों ने एक महिला समेत कुल 10 बच्चों की जान ले ली है. और शासन-प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद कई भेड़िये अब भी छुट्टा घूम रहे हैं. अगर हमलों की बात करें तो छह महीनों में इन भेड़ियों ने इंसानों पर साठ से ज्यादा हमले किए हैं. और इसीलिए अब सरकार ने तय कर लिया है कि अब अगर ये भेड़िये पकड़ में नहीं आए या फिर उन्हें पिंजरे में कैद करना या फिर बेहोशी वाली गन से ट्रैंकुलाइज करना मुमकिन नहीं हुआ, तो फिर सीधे शूट कर दिया जाएगा यानी गोली मार दी जाएगी.

कहने की जरूरत नहीं है कि महीने भर से ज्यादा वक्त से मौत और खौफ के साये में जी रहे ग्रामीणों ने सरकार के इस फैसले से राहत की सांस ली है. कुछ इसी फैसले के साथ-साथ वन विभाग ने अपनी टीमों को भी हथियारों के साथ गांवों में तैनात कर दिया है. पुलिस तो खैर अस्लहों के साथ गांवों में शुरू से ही घूम रही है. लेकिन अब तक पर्यावरण और वन्य जीवों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए ये अस्लहे खामोश थे, लेकिन अब मौत का दूसरा नाम बन चुके भेड़ियों से निजात पाने के लिए अब ये अस्लहे आग उगलने को तैयार हैं.

ऐसा नहीं है कि वन विभाग इस मामले पर गंभीर नहीं है. जब से भेड़ियों का आंतक बढ़ा है, वन विभाग के लोग लगातार इन खूनी शयों का पीछा कर रहे हैं. करीब दो सौ से ज्यादा वनकर्मियों की टीमें अलग-अलग गांवों में भेड़ियों को लोकेट करने और उन्हें पिंजरे में बंद करने की कोशिश कर रही है. ड्रोन कैमरों की मदद ली जा रही है. भेड़ियों को घेरने के लिए खास कॉरीडोर बनाए जा रहे हैं. पटाखों से भेड़ियों को खास दिशा में जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

वन विभाग चार भेड़ियों को पकड़ने में कामयाब भी हो चुका है. लेकिन महकमे की मानें तो दो आदमखोर अब भी उसकी पकड़ से बाहर हैं और वही भेड़िये इंसानों पर हमला कर रहे हैं. हालांकि जिले के महसी तहसील में ही तीन साल की बच्ची की सूरत में हुई दसवीं मौत के बाद गांव वालों ने दो नहीं, बल्कि तीन भेड़ियों को देखने का दावा किया है. ऐसे में सवाल भेड़ियों की तादाद को लेकर भी है. और ये कह पाना अभी मुश्किल है कि जिले के इन 35 गांवों को इस भयानक परेशानी से पूरी तरह मुक्ति कब मिलेगी.

मौके की नजाकत का अहसास इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब सूबे के वन मंत्री खुद ही आवाम को भेड़ियों से निजात दिलाने के लिए बहराइच पहुंच चुके हैं. सोमवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने इंसान और जानवरों की जंग से दो चार होने वाले सूबे के 11 जिलों के सीनियर अफसरों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग की और जरूरी आदेश दिए. इन जिलों में बहराइच, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, श्रावस्ती, मुरादाबाद, हापुड़, सीतापुर, गोंडा, मेरठ, बिजनौर और बरेली शामिल हैं. इनमें बहराइच जहां भेड़ियों की मार से सबसे ज्यादा परेशान है, वहीं अब सीतापुर में भी भेड़ियों के हमले के कुछ मामले सामने आए हैं. हालांकि अधिकारियों की मानें तो ये भेड़िया नहीं बल्कि सियार हो सकते हैं.

आज तक भेड़ियों के आतंक से जूझ रहे बहराइच के लोगों के साथ पहले दिन से खड़ा है. नए हालात के बीच हमारी टीम ने उन इलाकों का दौरा किया, जो भेड़ियों के हमले से सबसे ज्यादा परेशान हैं. समर्थ एक ट्रैक्टर में निगरानी के लिए ग्रामीणों के साथ उन अंदरुनी इलाकों में भी पहुंचे, जहां भेड़िये खेतों में छुपे हो सकते हैं. सबसे दर्दनाक तो ये है कि अब लोगों को भेड़ियों के ख़ौफ़ से घर छोड़ कर ही जाना पड़ रहा है. यानी पलायन की शुरुआत हो चुकी है. अब भेड़ियों का ये आतंक कब तक खत्म होगा, भेड़िये पकड़ में आएंगे या फिर सरकार की गोली खा कर जान से जाएंगे, ये फिलहाल कोई नहीं जानता.