लखनऊ : नियुक्ति को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए बहुस्तरीय जांच प्रक्रिया का निर्धारण किया गया है। पात्र आश्रितों की जिलास्तर से लेकर डीजी होमगार्ड कार्यालय तक कई चरणों में जांच होगी।

यूपी सरकार ने दिव्यांग होमगार्डों के परिवारों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थायी रूप से दिव्यांग होमगार्डों के आश्रितों की नियुक्ति पर लगी रोक हटा दी है। सरकार के इस निर्णय से उन दिव्यांग हो चुके परिवारों में उम्मीद की किरण जागी है। जो लंबे समय से नियुक्ति के लिए गुहार लगा रहे थे।

अपने सेवाकाल में स्थाई रूप से दिव्यांग हो चुके होमगार्डों के आश्रितों की नियुक्ति की प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए सरकार ने एक स्पष्ट और बहुस्तरीय जांच प्रक्रिया का निर्धारण किया है। अब नियुक्ति के लिए जिलास्तर से लेकर डीजी होमगार्ड कार्यालय तक कई चरणों में जांच और सिफारिशें की जाएंगी।

प्रदेश के होमगार्ड विभाग ने आवेदन के सही और निष्पक्ष तरीके से परीक्षण के लिए नई व्यवस्था लागू की है। इसके लिए पात्र आश्रितों की जांच और नियुक्ति के लिए चार चरणों पर काम होगा। इसके प्रथम चरण में आवेदन की जांच जिलास्तरीय सीएमओ समिति द्वारा की जाएगी। वहीं, दूसरे चरण में जिलास्तरीय समिति द्वारा संस्तुति मिलने पर, जिला कमांडेंट इसे डीजी होमगार्ड के पास भेजेंगे। तृतीय चरण में मुख्यालय स्तर पर गठित समिति होगी जो चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे, सभी तथ्यों की गहन जांच करेगी। इसके बाद फिर अंतिम चरण में डीजी होमगार्ड समिति की सिफारिशों के आधार पर नियुक्ति का अंतिम निर्णय लेंगे।

पिछले कुछ वर्षों में दिव्यांग होमगार्डों के आश्रितों की नियुक्ति पर लगे प्रतिबंध के कारण लगभग 250 से अधिक मामले लंबित हो गए थे। यह परिवार लगातार अनिश्चितता और आर्थिक संकट का सामना कर रहे थे। इस निर्णय के बाद इन लंबित मामलों को प्राथमिकता से निपटाने का रास्ता साफ हो गया है।

बता दें कि 2022 में सामने आए अपात्र उम्मीदवारों की भर्ती और अनुग्रह राशि के दुरुपयोग के मामलों ने सरकार को इस नीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया था। लेकिन योगी सरकार ने इन घटनाओं को सुधार का अवसर बनाया। अब नई प्रक्रिया में हर स्तर पर जांच और निगरानी को मजबूत किया गया है।