अलीगढ़ के लॉजिस्टिक कारोबारी व सीमेंट सप्लायर संदीप गुप्ता हत्याकांड के मुख्य आरोपी शूटर प्रवीन बाजौता का जरायम बहीखाता बेहद लंबा-चौड़ा है। वह पुलिस रिमांड पर सब कुछ खुलकर बता रहा है। हां, उसने बमुश्किल वो नाम उजागर किया है, जो संदीप की हत्या के समय उसकी गाड़ी चला रहा था। वह कोई और नहीं, बल्कि खुद उसके ताऊ का बेटा प्रदीप है। उसका नाम छिपाने के पीछे का मकसद उसका आपराधिक रिकार्ड न होना है। फिलहाल उसने संदीप की हत्या में प्रयुक्त पिस्टल बरामद कराई है। जितेंद्र ने घटना के दिन पहने कपड़े बरामद कराए हैं। पुलिस ने जितेंद्र कंजा को शुक्रवार को जेल में दाखिल कर दिया, जबकि प्रवीन से अभी पूछताछ चल रही है।

दो दिन से चल रही पूछताछ के बाद हाथरस के जितेंद्र उर्फ कंजा ने अपनी निशानदेही से वे कपड़े, हुडी, कैप आदि बरामद कराए, जो घटना के दिन पहने थे। साथ में हरदुआगंज के माछुआ नहर के पास जमीन में दबी नीले रंग की बलेनो कार की वह फर्जी नंबर प्लेट भी बरामद कराई जो इन्होंने हत्या के बाद उतार ली थी। इसके अलावा प्रवीन ने टप्पल क्षेत्र के गांव घरबरा के रहने वाले अपने रिश्ते के बहनोई के नलकूप के पास से 30 बोर यानी 7.62 एमएम की देशी पिस्टल, खोखा व कारतूस आदि बरामद कराए हैं। इसी पिस्टल से संदीप की हत्या करना स्वीकारा है। यह भी स्वीकारा कि जो घटना के समय गाड़ी चला रहा था, वह उसके ताऊ का बेटा प्रदीप है।

जिसे उन्होंने यहां से भागने के बाद मथुरा के बाद से ही छोड़ दिया था, जबकि हत्या के समय प्रयोग किया मोबाइल तोड़कर फेंकना स्वीकारा है। सीओ तृतीय श्वेताभ पांडेय ने बताया कि इस बरामदगी के बाद जितेंद्र को जेल में दाखिल कर दिया है। टप्पल में हथियार बरामदगी के संबंध में एक मुकदमा दर्ज किया गया है। बाकी प्रवीन से अभी पूछताछ जारी है।

दोनों ने स्वीकारा कि 20 लाख की तय सुपारी में से 10 लाख रुपये मिले थे। जिसमें से कुछ रुपये जितेंद्र ने कपड़े, जेवर आदि में खर्च किए, जबकि प्रवीन ने बेटी की जन्मदिन पार्टी व देवी जागरण में रुपये खर्च किए। इस तरह अब रकम बरामद होना मुश्किल है। साथ में स्वीकारा कि कुछ साथियों व फरारी में भी रकम खर्च की है।
मालूम न था संदीप इतना रसूखदार व्यक्ति है

प्रवीन व जितेंद्र ने स्वीकारा कि जब साहिल यादव के जरिये उन्हें संदीप की हत्या की सुपारी मिली तो वे दोनों लोग अलीगंज गए थे। जहां उन्होंने संदीप की दुकान साड़ी संसार व उसका ऑफिस देखा था। हत्या वहीं करना तय था। मगर वहां भीड़ अधिक होने के कारण वापस लौट आए। मगर उस समय तक उन्हें न मालूम था और न अहसास हुआ था कि संदीप इतना रसूखदार व्यक्ति है। इसके बाद एक मर्तबा अलीगढ़ में भी प्लान बना। मगर बच गया था। घटना वाले दिन उसे एटा रोड पर घेरकर मारना था। मगर गांधी आई तिराहे पर मौका मिल गया और मौत के घाट उतार दिया। हत्या के बाद संदीप के रसूख, उसके सामाजिक व्यवहार की जानकारी हुई तो अहसास हुआ कि बड़े व्यक्ति को मौत के घाट उतारा है।

अपने साथ हत्या में तीसरे साथी के रूप में अब तक सही नाम न लेने के सवाल पर दोनों ने स्वीकारा कि नाजिम उर्फ टोनी दिल्ली का अपराधी है। कुछ साल पहले जितेंद्र पर 50 हजार का इनाम था। उस घटना में वह दिल्ली में नाजिम की निगरानी में फरारी काट रहा था। उसके पास रुपये भी मौजूद थे। नाजिम की नीयत बिगड़ी और उसने दिल्ली पुलिस से मुखबिरी देकर जितेंद्र को गिरफ्तार करा दिया। वहां मौजूद रकम खुद हजम कर ली। उसी बदले को लेने के लिए उन्होंने नाजिम का नाम पुलिस को बताया था। साथ में मकसद ये भी था कि प्रवीन का छोटा भाई, जिसका कोई रिकार्ड नहीं है। वह बच जाएगा।