चीन. चीन को उसकी आक्रमक नीति की वजह से जाना जाता है. तिब्बत के साथ चीन ने क्या किया, ये पूरी दुनिया ने देखा. अब उसकी नजर ताइवान पर है और काफी लंबे समय से दोनों के बीच तनावपूर्ण संबंध बने हुए हैं. दोनों देशों की स्थिति को देखकर लगता है कि युद्ध कभी भी हो सकता है, लेकिन चीन चाहकर भी युद्ध नहीं कर पा रहा है. अब सवाल उठता है कि जो देश चीन के आगे न हथियार, न सेना और न इन्फ्रास्ट्रक्चर में कहीं टिकता है, उस पर चीन अभी तक आक्रमक क्यों नहीं हो पा रहा है. क्यों चीन ताइवान पर हमला करने से बच रहा है. इसका जवाब ताइवान की एक खूबी है, जिसकी वजह से चीन क्या, अमेरिका या दुनिया का कोई अन्य शक्तिशाली देश भी उस पर हमला नहीं कर सकता.
ये है वो खास तकनीक
ताइवान के पास न चीन की तरह परमाणु हथियार है और न अन्य दूसरे शक्तिशाली हथियार, लेकिन उसकी ताकत ‘सिलिकॉन शील्ड’ है, जो उसको हर खतरे से बचा रही है. दरअसल ताइवान तकनीक में काफी आगे है. ताइवान पूरी दुनिया में एडवांस्ड सेमीकंडक्टर चिप बनाने वाले देशों में सबसे आगे है. आंकड़ों पर नजर डालें तो पूरी दुनिया में सालाना 1 ट्रिलियन सेमीकंडक्टर चिप का इस्तेमाल होता है, लेकिन इसमें 90 प्रतिशत हिस्सा ताइवान का ही है. अमेरिकी आधारित सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री असोसिएशन की 2021 की रिपोर्ट पर बात करें तो अगर ताइवान पर कोई हमला होता है तो इससे सेमीकंडक्टर का उत्पादन प्रभावित होगा और इससे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने वालों को करीब 490 अरब डॉलर का नुकसान होगा. यही वजह है कि चीन अभी तक बैकफुट पर है. ताइवान की यही ताकत उसे सुरक्षित करती है और कोई भी देश उस पर हमला करने की हिम्मत जल्दी नहीं करेगा.
क्या होता है सेमीकंडक्टर चिप का यूज
अगर सेमीकंडक्टर चिप के यूज की बात करें तो यह इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स के अलावा वाहनों में भी यूज किया जाता है. ताइवान के चिप का इस्तेमाल एप्पल जैसी बड़ी कंपनी भी करती है. इसके अलावा दूसरी प्रमुख कंपनी भी सेमीकंडक्टर चिप के लिए उसी पर निर्भर है.