नई दिल्ली : बीते लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को मिली अच्छी सफलता के बाद दो राज्यों हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव में फिर से इस अलायंस की धमक दिखने लगी है. यह हम नहीं बल्कि शनिवार को आए एग्जिट पोल के नतीजे बता रहे हैं. एग्जीट पोल के नतीजों में जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन बहुमत के करीब दिख रही है. वहीं हरियाणा में कांग्रेस पार्टी अपने दम पर बड़ी जीत हासिल करने की ओर दिख रही है.
अगर एग्जिट पोल के नतीजे वास्तविक साबित होते हैं तो निश्चित तौर पर इसके गहरे राजनीतिक असर देखने को मिलेंगे. खासकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए. राहुल गांधी इस वक्त लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं. राहुल गांधी की बीते दो दशक की राजनीति में यह संभवतः पहली बार होगा जब कांग्रेस पार्टी लगातार किसी बड़ी जीत की ओर बढ़ रही है.
सी-वोटर के एग्जिट पोल के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस को 40-48 सीटें मिल सकती हैं. भाजपा को 27 सले 32 सीटें मिल सकती हैं. जबकि पीडीपी को 6-12 और अन्य को 6-11 सीटें मिलने की संभावना है. यहां निश्चित तौर पर पीडीपी-कांग्रेस बहुमत के करीब है. अगर वह बहुमत से दूर रहता है तो ऐसा संभव है कि उसे पीडीपी का साथ मिल जाए. दूसरी तरफ भाजपा और अन्य जिसमें बड़ी संख्या में भाजपा समर्थित निर्दलीय हैं, के दम पर 40+ हो रही है.
अब बात करते हैं हरियाणा की. हरियाणा की 90 सदस्यीय सीट पर कांग्रेस पार्टी 55 से 62 सीटों पर जीत हासिल करती दिख रही है. उसके लिए यह एक बहुत बड़ी जीत कहलाएगी. इससे निश्चित तौर पर उत्तर भारत में पार्टी को अपने दम पर अपेक्षाकृत एक बड़े राज्य में सत्ता मिलेगी. अभी उत्तर भारत में वह केवल हिमाचल प्रदेश में सत्ता में है. अगर हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनती है तो वह तीन राज्यों में अपने दम पर सरकार में होगी. कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है.
एग्जिट पोल अगर वास्तविक नतीजे में तब्दील होते हैं तो निश्चिततौर पर यह राहुल गांधी और उनकी टीम के लिए यह बड़ी जीत होगी. लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से राहुल गांधी लगातार आक्रामक हैं. वह हरियाणा में मतदान से चंद घंटों पहले वहां के बड़े दलित नेता अशोक तंवर को पार्टी में वापसी करवाते हैं. अशोक तंवर वही नेता हैं जिन्होंने बीते 2019 के विधानसभा चुनाव से कुछ माह पहले अध्यक्ष पद से हटाए जाने के कारण कांग्रेस छोड़ दिया था. वह बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर कुमारी सैलजा के खिलाफ मैदान में थे.
वह राज्य में हुड्डा कैंप और सैलजा कैंप से इतर शुरू से राहुल कैंप के नेता रहे हैं. लेकिन, बतौर आलाकमान राहुल गांधी के कमजोर पड़ने और हुड्डा से मनमुटाव के कारण अशोक तंवर को कांग्रेस छोड़ना पड़ा था. लेकिन, 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद राहुल गांधी 2019 वाले राहुल गांधी नहीं हैं. हुड्डा कैंप की तमाम कोशिशों के बावजूद राहुल गांधी टीम ने हरियाणा के चुनाव में अपनी पकड़ बनाए रखी. अगर एग्जिट पोल सही साबित होते हैं तो निश्चित तौर पर हरियाणा में सरकार गठन में भी राहुल गांधी का असर दिखेगा.
इसके अलावा दोनों राज्यों के एग्जिट पोल सही साबित होते हैं तो यह भी साबित होगा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटों में घटौती और इंडिया गठबंधन की सीटों में शानदार बढ़ोतरी कोई तुक्का नहीं था. बल्कि, इससे यह साबित होगा कि राष्ट्रीय के साथ राज्यों के स्तर पर अब एनडीए से जनता का मोहभंग होने लगा है. वह अब विकल्प तलाशने लगी है.
अगर एग्जिट पोल सही साबित होते हैं तो इसका सबसे बड़ा असर महाराष्ट्र में देखने को मिल सकता है. महाराष्ट्र में एनडीए की सरकार और बीते लोकसभा में उसे वहां बुरी हार का सामना करना पड़ा था. एग्जिट पोल वास्तविक नतीजे में तब्दील होते हैं तो महाराष्ट्र में विपक्षी इंडिया गठबंधन और आक्रामक होगी. दूसरी तरफ लोकसभा की हार के बाद एनडीए के नेताओं और कार्यकर्ताओं का उत्साह कमजोर पड़ेगा.