लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने राजनीति, परिवार, बच्चों समेत तमाम विवादित और गैरविवादित मुद्दों पर खुलकर बात की है। अखिलेश यादव ने डिंपल से इंटरकास्ट मैरिज और अमर सिंह के अहम रोल की चर्चा की। उन्होंने पिता मुलायम सिंह यादव के यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में नाराज होने का जिक्र किया। चाचा शिवपाल यादव से लड़ाई से समझौत तक की कहानी भी बताई। अखिलेश ने उन्हें राजनीति में लाने वाले जनेश्वर मिश्र का अपनी कहानी में जिक्र किया। उन्होंने एक पॉडकास्ट में तमाम मुद्दों पर खुलकर बातचीत की।

हाल में अखिलेश यादव ने शुभांकर मिश्रा के पॉडकास्ट में इंटरव्यू दिया है। इसमें उन्होंने कहा कि अब मैं उतना जी नहीं पाऊंगा, जिनता जी चुका है। ऐसे में अब मैं युवा नेता तो नहीं हूं। हालांकि नए विचार लाने वाला नेता युवा भी रहता है। उन्होंने अपने टीपू नाम पर कहा कि कन्नौज और मेरे गांव में आज भी लोग इसी नाम से ही बुलाते है।

अखिलेश यादव ने बताया कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव, पिता) ने 10 साल की उम्र में उन्हें धौलपुर मिलिट्री स्कूल भेज दिया था। मैसूर में इंजीनियरिंग की थी। इंजीनियरिंग के दौरान पढ़ाई का हाल भी बताया। अखिलेश ने बताया, पहले सेमेस्टर में जब इंजीनियरिंग का रिजल्ट देखा तो लगा कि पास हो गया हूं। रिजल्ट देखकर आया तो साथियों ने बताया, एक सबजेक्ट में ही पास हुए हो और बाकी सब में फेल। ये पहले समेस्टर की बात थी। पहले दो सेमेस्टर में काफी सबजेक्ट में फेल हुआ था। उन्होंने बताया कि थर्ड सेमेस्टर में काफी पढ़ाई की। थर्ड और फोर्थ सेमेस्टर में जितनी पढ़ाई की, उतनी पढ़ाई कभी नहीं की थी।

अखिलेश यादव ने अपनी लव मैरिज को लेकर भी चर्चा की। उन्होंने सबसे पहले अमर सिंह का नाम लिया। अखिलेश ने कहा कि अमर सिंह अंकल का धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने नेताजी (पिता मुलायम सिंह यादव) को समझाया। अमर सिंह अंकल के बिना मेरी शादी नहीं हो पाती। कद्दावर नेता जनेश्वर मिश्र जी ने भी पिता को समझाया था।

अखिलेश यादव ने कहा कि नेताजी ने उस दौर में अपने कई साथियों से डिंपल के साथ रिश्ते को लेकर चर्चा की थी। साथ ही बताया कि जब नेताजी ने डिंपल को स्वीकार किया, फिर दिल से स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि सबसे पहले डिंपल के बारे में दादी को बताया था। फिर दादी ने नेताजी से शादी की बात शुरू की थी।

सपा प्रमुख अखिलेश ने याद करते हुए कहा कि 1999 में शादी के ठीक बाद दिल्ली में था। बाजार में घूम रहा था, तभी पिता से पता चला कि चुनाव लड़ना है। नेताजी के साथ पार्टी ने तय किया था कि अखिलेश को चुनाव लड़ाया जाए। इस बारे में जनेश्वर मिश्र जी ने सबसे ज्यादा जोर दिया था कि चुनाव में किसी घर वाले को खड़ा होना चाहिए। उन्होंने कहा, फिर मैंने पूरे मन से चुनाव लड़ा और राजनीति में जुड़ गया।

यूपी विधानसभा चुनाव और लोकसभा उपचुनाव के दौरान अखिलेश यादव के बच्चे चुनाव अभियान में देखे गए। इस पर अखिलेश ने कहा कि बेटी (अदिति यादव) को पता होना चाहिए कि राजनीति क्या है। गांव-गांव जाने के लिए उन्हें छूट दी गई। अदिति, टीना या अर्जुन सभी को राजनीति समझने के लिए खुली छूट है, ताकि उन्हें राजनीति की पूरी समझ हो। उन्होंने बताया कि समय-समय पर बच्चों को गाइड करता हूं। जेन जी जनरेशन को समझना बहुत जरूरी है, इसलिए उन्हें वक्त भी देता हूं।

अखिलेश यादव एक सवाल के जवाब में यूपी विधानसभा चुनाव 2017 और परिवार में मची कलह को लेकर जवाब दिया। उन्होंने चाचा (शिवपाल यादव) और भतीजे (खुद अखिलेश) के पूराने विवाद पर चर्चा की। कहा, जो उस समय हुआ अब दोबारा नहीं होगा। परिवार में जो हुआ अब वो भूलकर बड़ी लड़ाई में आगे साथ चल रहे हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि नेताजी के कई बयान ने दुख भी दिया था। हालांकि ये उनकी पार्टी ही है, इसलिए सब बातों को भूलाकर पार्टी को आगे बढ़ाने का काम किया। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि उस समय नेताजी ने साथ दिया होता, तो हम 2017 का विधानसभा चुनाव जीत जाते। अब मैं यही कामना करता हूं कि ऐसी घटना किसी भी परिवार में न हो। नेताजी ने देश की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाई है।

बता दें ये वो दौर था, जब शिवपाल यादव और अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी पर एक साथ दावा करने लगे। मामला यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सुप्रमी कोर्ट तक पहुंच गया। पिता मुलायम सिंह यादव ने भाई शिवपाल यादव के पक्ष में कई बार बयान दिया। साथ ही अखिलेश यादव के लिए ये तक कह दिया था कि जो पिता का नहीं हुआ वो और किसी का क्या होगा। हालांकि बाद में मुलायम सिंह यादव ने बेटे को हार के बाद कहा था कि ‘तुम बहुत बढ़िया चुनाव लड़े।’

अखिलेश यादव ने कहा कि 2012-2017 तक मैंने जनता को बेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर दिया। आगरा एक्सप्रेसवे डिजाइन को लेकर पूरे मानक रखे गए। इसकी चर्चा भी हर तरफ हुई। लैपटॉप से लेकर तमाम योजनाओं से जनता को लाभ दिया। हालांकि चुनाव हारने के बाद बुरा लगा। उन्होंने दावा किया कि बस लोग बीजेपी की बातों में आ गए। अखिलेश ने कहा कि उस दौरान वोट शेयर कम नहीं हुआ था। कुछ कारणों से हम ज्यादा अच्छा चुनाव नहीं लड़ पाए थे।

वहीं उन्होंने कहा कि अभी संसद सत्र के दौरान भाजपा के एक सांसद के साथ एक चर्चा हुई। वो कह रहे थे कि इस बार अयोध्या में 1 हजार करोड़ का विकास और बीजेपी लोकसभा सीट हार गई। ऐसे में समझ आया कि कभी-कभी जनता नहीं समझ पाती है। खैर, हम आगे बढ़ने के क्रम में जुटे हुए हैं।

अखिलेश यादव ने सपा और कांग्रेस के रिश्तों पर भी बात की। उन्होंने यूपी से बाहर कांग्रेस से सपा को सीट नहीं मिलने पर जवाब दिया। कहा कि राजनीति में बड़ लक्ष्य पाने के लिए कई बातों को छोड़ना पड़ता है। उम्मीद है कि कांग्रेस जरूर समझेगी। बीजेपी को हटाने के लिए इंडिया गठबंधन को एक होना पड़ेगा।

अखिलेश यादव ने योगी सरकार से जुड़ा एक किस्सा बताया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों के घर जा रहे थे। नेताजी अपना घर नहीं छोड़ने चाहते थे। ऐसे में बीच का रास्ता निकाल का प्रयास किया और नेताजी को वही घर अलॉट करने के लिए चिठ्ठी लिखी थी, जिसमें वो काफी वर्षों से रह रहे थे। हालांकि सरकार ने खारिज कर दिया। इसके बाद भी नेताजी ने यूपी सरकार (योगी आदित्यनाथ) से जाकर बात करने की बात कही। सपा के लीडर ऑफ अपोजिशन के नाम पर नेताजी को घर देने का आग्रह भी नहीं माना।

अखिलेश यादव ने बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ अक्सर मुलायम सिंह यादव (नेताजी) से मिलने आते थे। हालांकि बीजेपी के लोग उनकी इस फोटो को बड़े गलत तरीके से इस्तेमाल करती थी। नई बीजेपी के लोगों किसी का सम्मान नहीं करते हैं। अखिलेश ने बताया कि इस पीढ़ी के बीजेपी नेता पहले जैसे संबंध निभाने वाले नहीं रहे। नेताजी का विरोधियों के साथ भी गहरा संबंध था।