वॉशिंगटन: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी राजकीय यात्रा पर अमेरिका रवाना हो गए हैं। पीएम मोदी की इस यात्रा के लिए अमेरिका के बाइडन प्रशासन ने शाही तैयारियां कर ली हैं। पीएम मोदी के स्वागत में वाइट हाउस में डिनर का आयोजन किया गया हैं। भारतीय प्रधानमंत्री अमेरिकी संसद को भी संबोधित करेंगे। अमेरिका का कहना है कि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के साथ दोस्ताना रिश्तों को मजबूत कर रहे हैं, वहीं कई विशेषज्ञ ऐसे हैं जो इस दलील से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि अमेरिका भारत का इस्तेमाल चीन के साथ अपने रिश्तों को संतुलित करने के लिए करने कर रहा है। साथ ही बाइडन सरकार की कोशिश यह भी है कि रूस के सबसे बड़े हथियारों के खरीदार भारत को मास्को से दूर किया जा सके। आइए समझते हैं पूरा मामला
अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर रहीस सिंह एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में कहते हैं कि अमेरिका के दोस्त देश अब उसको छोड़कर भाग रहे हैं। अमेरिका का कोई स्टैंड ही नहीं है। आज अमेरिका के पीछे कोई खड़ा नहीं है। सऊदी अरब अमेरिका के साथ नहीं है। सऊदी अरब ने चीन की मदद से ईरान के साथ समझौता कर लिया है। ईरान चीन के साथ है। इजरायल के विदेश मंत्री चीन गए हैं। जर्मनी भी चीन के साथ जा चुका है। फ्रांस के राष्ट्रपति हाल ही में चीन की यात्रा पर गए थे। आज अमेरिका अकेला पड़ गया है और उसके साथ कोई खड़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह यह है कि क्या अमेरिका वास्तव में अपनी बात पर कायम है या नहीं। अमेरिका ने अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध किया और बाद में उसी तालिबानियों को सत्ता सौंप दी। ऐसे में अमेरिका पर कौन भरोसा करेगा।