देहरादून. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के क्रियान्वयन में राष्ट्रीय स्तर पर पर्वतीय राज्यों समेत विशेष श्रेणी के राज्यों की रैंकिंग में अगले वर्ष उत्तराखंड लंबी उछाल भरने की तैयारी में है। बेहतर प्रदर्शन में बाधक समस्याओं को दूर करने की कार्ययोजना पर अमल किया जा रहा है। अंगूठे के निशान से बायोमेट्रिक न होने की स्थिति में आइरीज यानी आंखों की पहचान के आधार पर उपभोक्ताओं का सत्यापन होगा।
राशनकार्डधारकों के बायोमेट्रिक सत्यापन में आ रही समस्या के समाधान के लिए विश्व बैंक कार्यक्रम प्रदेश को आंखों से पहचान से संबंधित मशीन के रूप में बड़ी सहायता करने जा रहा है। दैनिक जागरण ने अपने अभियान ‘खाद्य सुरक्षा: चुनौती’ के माध्यम से एनएफएसए रैंकिंग में उत्तराखंड के पिछड़ने और इसके लिए उत्तरदायी कारकों को अपने पाठकों के समक्ष विस्तार से रखा था।
एनएफएसए को लेकर उत्तराखंड इसके प्रारंभिक चरण से ही सजग रहा है। निर्धन और अति निर्धनों में सम्मिलित अंत्योदय परिवारों को खाद्य सुरक्षा देने के लिए शुरू किए गए अभियान के अंतर्गत राशनकार्डों के डिजिटाइजेशन और राशनकार्ड में दर्ज यूनिट को आधार से लिंक करने में सरकार ने तेजी से कदम उठाए।
जुलाई, वर्ष 2020 में वन नेशन वन राशनकार्ड योजना पर अमल करने वाले गिने-चुने राज्यों में उत्तराखंड को गिना जाता रहा है। इसके बावजूद एनएफएसए रैंकिंग में उत्तराखंड राष्ट्रीय रैंकिंग में 24वें स्थान और पर्वतीय राज्यों समेत विशेष श्रेणी राज्यों की रैंकिंग में भी पांचवें स्थान पर खिसक गया।
प्रदेश की एनएफएसए रैंकिंग में सुधार की कार्ययोजना को लेकर जागरण ने खाद्य सचिव सचिन कुर्वे से विस्तार से बातचीत की। सरकार की कार्ययोजना को सामने रखते हुए उन्होंने दावा किया कि अगले वर्ष इस रैंकिंग में उत्तराखंड के प्रदर्शन में सुधार लगभग तय है। उन्होंने बताया कि सरकार का सबसे अधिक ध्यान राशनकार्डधारकों के बायोमेट्रिक सत्यापन पर है। पिछले दो माह में इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए जा चुके हैं।
बायोमेट्रिक सत्यापन से राशन की दुकानों में खाद्यान्न वितरण 18 प्रतिशत से बढ़कर 72 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। अगले दो से तीन महीने में इसे शत-प्रतिशत करने पर काम प्रारंभ हो चुका है। बायोमेट्रिक सत्यापन में एक बाधा अंगूठे के निशान न मिलने को लेकर भी है। अंगूठे के निशान के स्थान पर ऐसे उपभोक्ताओं का सत्यापन आंखों की पुतलियों के माध्यम से होगा। इसके लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम मशीन प्रदेश को उपलब्ध कराने जा रहा है।
इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या कई स्तर पर है। इसके समाधान के लिए बहु स्तरीय व्यवस्था बनाई जा रही है। ऐसे डार्क एरिया, जिनमें इंटरनेट की सुविधा नहीं है। वहां राज्य के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, केंद्रीय दूरसंचार विभाग और केंद्र की भारत-नेट योजना की सहायता से कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई जाएगी। विभागों में समन्वय स्थापित कर कदम आगे बढ़ाए जा रहे हैं।
जिन अति दुर्गम क्षेत्रों में नेट कनेक्टिविटी उपलब्ध नहीं हो सकती, वहां मोबाइल फोन पर आधार लिंक कर ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) के माध्यम से खाद्यान्न वितरण एवं अन्य आवश्यक लेन-देन की व्यवस्था के क्रियान्वयन पर मंथन किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त दो निजी कंपनियों के माध्यम से ई-पोस (प्वाइंट आफ सेल) मशीनें राशन की दुकानों को उपलब्ध कराई जा रही हैं।
एनएफएसए के अंतर्गत खाद्यान्न उठान से लेकर उसके वितरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और उपभोक्ताओं को आसानी से खाद्यान्न उपलब्ध कराने पर बल दिया गया है। इसके लिए डोर स्टेप डिलीवरी योजना यानी खाद्य गोदामों से राशन की दुकानों तक खाद्यान्न पहुंचाने का प्रबंध शुरू कर दिया गया है।
दो नए ब्लाकों देहरादून के विकासनगर और हरिद्वार के लक्सर के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। देहरादून व हरिद्वार जिलों में आगामी सितंबर माह का खाद्यान्न राशन की दुकानों में अगस्त के महीने में डोर स्टेप डिलीवरी के माध्यम से पहुंचा दिया जाएगा।
वहीं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) रैंकिंग को सुधारने के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम उत्तराखंड को बड़ी सहायता करने जा रहा है। रैंकिंग के मानकों के नियमित अनुश्रवण के लिए एप उपलब्ध कराएगा। खाद्य सचिव सचिन कुर्वे और विश्व खाद्य कार्यक्रम के अधिकारियों की इस संबंध में बैठक हो चुकी है।
चालू वर्ष के लिए जारी एनएफएसए रैंकिंग में प्रदेश का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा है। धामी सरकार अगले वर्ष रैंकिंग में प्रदर्शन सुधारने के लिए पूरी शक्ति झोंक रही है। इस मामले में सरकार की सहायता के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम ने हाथ बढ़ाया है। एनएफएसए के लिए निर्धारित किए गए सूचकांक और मानकों को पूरा करने के लिए उठाए जा रहे कदमों का दैनिक और साप्ताहिक अनुश्रवण एप के माध्यम से संभव होगा।
यह एप विश्व खाद्य कार्यक्रम तैयार कर रहा है। विश्व खाद्य कार्यक्रम के अधिकारियों ने सचिवालय में खाद्य सचिव के साथ बैठक में इस संबंध में जानकारी दी। एनएफएसए में अच्छे प्रदर्शन के लक्ष्य को धरातल पर उतारने के लिए राज्य सरकार पतंजलि के साफ्टवेयर की सहायता ले रही है। इसके माध्यम से राज्य भंडारण निगम के 24 गोदामों में खाद्यान्न प्रोक्योरमेंट की आफलाइन व्यवस्था को आनलाइन किया गया है।
खाद्य सुरक्षा योजनाओं का डिजिटाइजेशन
राशनकार्डों की आधार सीडिंग
राशन की दुकानों का आटोमेशन
बायोमेट्रिक ट्रांजेक्शन
डोर स्टेप डिलीवरी