मेरठ: कैंट बोर्ड में सफाई के टेंडर में भ्रष्टाचार को लेकर खासी किरकिरी हो रही हैं। ठेकेदार मयंक चौधरी ने सदर थाने में एक तहरीर देकर भ्रष्टाचार की कहानी को और मजबूत कर दिया हैं। ठेकेदार की तहरीर पर सीओ सदर बाजार ने कैंट के कुछ अधिकारियों को बुलाकर भ्रष्टाचार के मामले में पूछताछ भी की हैं।
इससे बड़ी किरकिरी और क्या हो सकती हैं। हालांकि ठेकेदार ने अब कैंट बोर्ड के अधिकारियों के सामने तहरीर वापस लेने की बात कह दी हैं। ओवर आल इस मामले से कैंट बोर्ड की छवि धूमिल हुई हैं। यदि पैसे का लेन-देन नहीं हुआ तो फिर कैंट बोर्ड के अधिकारी बैकफुट पर कैसे आ गए ? ठेकेदार पर तहरीर वापस लेने के लिए दबाव क्यों बनाया गया।
कहा यही जा रहा है कि मीडिया को मीटिंग से बार-बार आउट करने के मामले में ठेकेदार पर भ्रष्टाचार के मामले में यही दबाव बनाया जा रहा था कि थाने में दी गई तहरीर को वापस ले। मीडिया के सामने भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा हुई होती तो और ज्यादा किरकिरी होती। इन सबसे बचने के लिए कैंट बोर्ड के अधिकारियों ने मीटिंग से बार-बार मीडिया कर्मियों को मीटिंग से बाहर कर दिया।
एक तरह से यह कैंट बोर्ड की कैमरा मीटिंग चल रही थी। कैमरा मीटिंग भी ब्रिगेडियर की मौजूदगी में हुई। एक सेना का बड़ा अधिकारी मौजूद था और फिर भी इस तरह से भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कार्रवाई करने की बजाय बचाव क्यों किया जा रहा है, यह किसी के समझ में नहीं आ रहा है। ठेकेदार ने पहले थाने में तहरीर दी, जिसमें आरोप लगाया कि सफाई का ठेका उसके पास है, जिसको लेकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है, उससे कैंट के कुछ अधिकारी घूस मांग रहे हैं।
भ्रष्टाचार के इस मुद्दे को लेकर मामला गरमा गया। सीओ सदर बाजार ने कैंट बोर्ड के अधिकारियों को अपने आॅफिस बुलाकर पूछताछ की। सीओ के इस कदम से कैंट बोर्ड के अधिकारी घबरा गए। क्योंकि भ्रष्टाचार का मामला थाने तक पहुंच गया। अब कैंट बोर्ड की मीटिंग में यह भी कहा गया था कि ठेकेदार ने जो तहरीर सदर थाने में दी थी, उसे पहले वापस लिया जाएगा।
इसके बाद ही उसका ठेका आगे बढ़ाया जाएगा। इस तरह से कैंट बोर्ड के अधिकारियों का भ्रष्टाचार में इन्वोलमेंट से सवाल उठ रहे हैं। इससे पहले पूर्व उपाध्यक्ष विपिन सौढ़ी ने तत्कालीन सीईओ नवेन्द्रनाथ के खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की हैं, जिसमें भ्रष्टाचार होना बताया हैं।
इसकी सुनवाई 22 जुलाई को होगी। इसको लेकर भी खासी किरकरी हो रही हैं। सीईओ स्तर के अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, जिसमें कोई भी निर्णय आ सकता हैं। मयंक चौधरी की फर्म वर्क फोरस में करीब 677 कर्मचारी आउट सोर्सिंग पर काम कर रहे हैं।
इनसे हुई थी पूछताछ
एसएसपी के यहां शिकायत होने के बाद इस पूरे मामले की जांच सीओ सदर ने की थी। सीओ सदर ने कैंट कोर्ड के कर्मचारी गिरीश, भरत सिंह, आजाद, योगेश यादव और अभिषेक को अपने आॅफस बुलाकर पूछताछ की थी। कई घंटे पूछताछ की। पत्र जारी कर सीओ ने इन कर्मचारियों को अपने आॅफिस में बुलाया था।