नई दिल्ली. चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च से ही हो चुकी है. नवरात्रि के नौ दिनों तक भक्त मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए हर प्रकार के पूजा और विधान से मां दुर्गा को प्रसन्न करने के तमाम उपाय कर रहे हैं. लेकिन आज के इस भागदौड़ वाली दनिया में लोग खुद को इतना व्यस्त कर लिए हैं कि मां दुर्गा की पूजा आराधना के लिए उनके पास पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है. ऐसे में आज हम आपको मां दुर्गा के 108 नामों के जाप के बारे में बता रहे हैं, जिसे करने मात्र से मां दुर्गा प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं और हमारे सभी मनोरथ पूर्ण कर देती हैं. आइए पढ़ते हैं मां दुर्गा के 108 नाम और जानते हैं उसका महत्व…
सती, साध्वी, भवप्रीता, भवानी, भवमोचनी, आर्या, दुर्गा, जया, आद्या, त्रिनेत्रा, शूलधारिणी, पिनाकधारिणी, चित्रा, चंद्रघंटा, महातपा, मन, बुद्धि, अहंकारा, चित्तरूपा, चिता, चिति, सर्वमंत्रमयी, सत्ता, सत्यानंदस्वरुपिणी, अनंता, भाविनी, भव्या, अभव्या, सदागति, शाम्भवी, देवमाता, चिंता, रत्नप्रिया, सर्वविद्या, दक्षकन्या, दक्षयज्ञविनाशिनी, अपर्णा, अनेकवर्णा, पाटला, पाटलावती, पट्टाम्बरपरिधाना, कलमंजरीरंजिनी, अमेयविक्रमा, क्रूरा, सुंदरी, सुरसुंदरी, वनदुर्गा, मातंगी, मतंगमुनिपूजिता, ब्राह्मी, माहेश्वरी, ऐंद्री, कौमारी, वैष्णवी, चामुंडा, वाराही, लक्ष्मी, पुरुषाकृति, विमला, उत्कर्षिनी, ज्ञाना, क्रिया, नित्या, बुद्धिदा, बहुला, बहुलप्रिया, सर्ववाहनवाहना, निशुंभशुंभहननी, महिषासुरमर्दिनी, मधुकैटभहंत्री, चंडमुंडविनाशिनी, सर्वसुरविनाशा, सर्वदानवघातिनी, सर्वशास्त्रमयी, सत्या, सर्वास्त्रधारिणी, अनेकशस्त्रहस्ता, अनेकास्त्रधारिणी, कुमारी, एककन्या, कैशोरी, युवती, यति, अप्रौढ़ा, प्रौढ़ा, वृद्धमाता, बलप्रदा, महोदरी, मुक्तकेशी, घोररूपा, महाबला, अग्निज्वाला, रौद्रमुखी, कालरात्रि, तपस्विनी, नारायणी, भद्रकाली, विष्णुमाया, जलोदरी, शिवदुती, कराली, अनंता, परमेश्वरी, कात्यायनी, सावित्री, प्रत्यक्षा और ब्रह्मावादिनी.
धार्मिक मान्यतानुसार जिन लोगों के पास दैनिक रोजी-रोटी की तलाश में मां दुर्गा की आराधना करने का ज्यादा वक्त नहीं होता है, वे यदि सिर्फ मां दुर्गा के इन 108 नामों का स्मरण कर लें तो उनसे मां दुर्गा प्रसन्न हो जाएंगी. मां दुर्गा के इन नामों का स्मरण करने मात्र से इंसान के जानें-अनजाने में किए पापों से मुक्ति मिल जाती है. इसके साथ ही मां दुर्गा की कृपा से उसके सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं.