राजस्थान । कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच के मनमुटाव की चर्चा है। चुनावी साल में राहुल गांधी प्रदेश की राजनीति में सक्रिय भी नहीं दिखाई दे रहे हैं। इसका कारण सचिन पायलट को माना जा रहा है।
राजस्थान विधानसभा चुनाव के संग्राम के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अशोक गहलोत के मनमुटाव को लेकर खूब सियासी चर्चा हो रही है। दूसरी तरफ राहुल गांधी प्रदेश में सक्रियता भी नजर नहीं आ रही है। कहा जा रहा कि मुख्यमंत्री गहलोत खुद नहीं चाहते हैं, राहुल गांधी राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हों। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण सचिन पायलट को बताया जा रहा है।
क्योंकि राहुल गांधी सचिन पायलट को पसंद करते हैं। उन्हें समर्थन भी दे रहे थे। गहलोत को डर है कि राहुल गांधी राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में जितना सक्रिय होंगे, उतना ही पायलट का प्रभाव बढ़ेगा और गहलोत ये बिल्कुल नहीं चाहते। इसके पीछे क्या कारण हैं ये सभी जानते हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले दोनों के बीच शुरू हुआ विवाद बढ़ता गया था। इस विवाद के कारण गहलोत सरकार पर खतरा भी आ गया था। हलांकि, फिलहाल दोनों नेता शांत हैं। ।
2018 में सचिन पायलट की बगावत के बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था। इसके बाद से पायलट के पास कोई पद नहीं था। सरकार के बड़े कार्यक्रमों में भी उन्हें नहीं बुलाया जाता था। वहीं, दूसरी तरफ गहलोत लगातार उन पर हमला बोल रहे थे।
विधानसभा चुनाव से पहले अगस्त 2023 में सचिन पायलट को कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया गया। तीन साल बाद पायलट को संगठन में कोई पद दिया गया था। डिप्टी सीएम के पद से हाटए जाने के बाद से वह सिर्फ विधायक की भूमिका में थे। इसे लेकर कहा गया कि गहलोत को नहीं,कांग्रेस को सचिन पायलट की जरूरत है या फिर साथ चाहिए।
राहुल गांधी के जरिए अगर सचिन पायलट का राजस्थान में प्रभाव बढ़ता है तो वे फिर मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में खुलकर सामने आ सकते हैं। टिकट वितरण में भी उनकी बढ़ी भूमिका होगी। ये दोनों ही चीजें हैं जो गहलोत बिल्कुल नहीं चाहते। हालांकि, कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य होने के कारण प्रत्याशियों के चुनाव समेत अन्य राणनीति में पायलट की भूमिका पहले से ही अहम मानी जा रही है।