अमेरिका ने चीन से ‘विकासशील देश’ का दर्जा छीन लिया है. इससे ड्रैगन में बौखलाहट है. यह इसलिए क्योंकि चीन अब सस्ते दर पर लोन नहीं ले सकेगा. चीन डेवलपिंग कंट्री स्टेटस का गलत फायदा उठा रहा था. वह सस्ता लोन लेकर गरीब देशों को फंसाता था. मगर ड्रैगन से विकासशील देश का दर्जा हटने के बाद वह ऐसा नहीं कर सकेगा. डेवलपिंग कंट्री स्टेटस लेकर चीन ने अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों को अपना कर्जदार बनाया है.

इस स्टेटस के तहत चीन बड़े ही चालाकी के साथ गरीब देशों पर अपना आधिपत्य जमाने की कोशिश करता था. डेवलपिंग कंट्री स्टेटस के साथ ड्रैगन ने अपनी विस्तारवादी नीति को काफी गहरा किया है. बता दें कि इस समय चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी है. इसलिए अमेरिकी संसद ने माना कि उसे अब डेवलपिंग कंट्री का स्टेटस नहीं दी जा सकती.

यह सारी बातें इसलिए की जा रही हैं कि क्योंकि हाल ही में अमेरिका ने चीन को बड़ा झटका देते हुए संसद में एक नए बिल को मंजूरी दे दी है. अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव ने इस बिल को पहले ही पास कर दिया था. इस बिल के पक्ष में 415 सांसदों ने मतदान किया था. वहीं बीते मंगलवार को अमेरिकी सीनेट ने भी इस बिल को पास कर दिया. इस बिल पर अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का हस्ताक्षर होना बाकी है. इस बिल पर उनके सिग्नेचर होते ही यह कानून बन जाएगा.

डेवलपिंग कंट्री का स्टेटस हटने से चीन की अर्थव्यवस्था पर इसका खासा असर पड़ेगा. चीन को वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ से कम ब्याज पर लोन नहीं मिल सकेगा. इस कानून से चीन की जीडीपी का ग्रोथ रेट और नीचे चला जाएगा. डेवलपिंग कंट्री के रूप में चीन को जितनी फैसलिटी मिलती थी, वो बंद हो जाएगी. इससे चीन हैरान और परेशान दोनों है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये उठने लगा कि कहीं भारत पर तो ये खतरा नहीं मंडराने लगा है. अगर भारत के साथ ऐसा होता है तो इसके क्या नुकसान होंगे?

देखिए, कोई भी देश खुद को विकसित राष्ट्र के रूप में देखना चाहता है लेकिन इसके अपने फायदे और नुकसान दोनों हैं. अगर भारत को डेवलप्ड कंट्री घोषित कर दिया जाता है तो उसे भी आईएमएफ और विश्व बैंक के सस्ते दरों पर लोन नहीं मिलेगी. अभी जो उसे बुनियादी सुविधाएं मिलती है, वो सारी बंद हो जाएगी. वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन से जो आर्थिक मदद मिलती है, वो नहीं मिलेगी. मुक्त और निष्पक्ष व्यापार के लिए जो आंशिक छूट मिलती है, वो खत्म हो जाएगी. मतलब व्यापारिक लाभ मिलना बंद हो जाएगा.

तीन साल पहले यूएस प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने चीन और भारत समेत दुनिया के 25 देशों को डेवलप्ड कंट्री के रूप में मान्यता देने की बात कही थी. विकासशील देशों में लोगों की प्रति व्यक्ति आय होती है. इन देशों में जनसंख्या काफी अधिक होती है. बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं होती है, जो विकास की गति को कम कर देती है. शिक्षा के क्षेत्र में कमी होती है. वहीं, अगर विकसित देशों की बात करें तो यहां लोगों की प्रति व्यक्ति आय काफी अधिक होती है. GDP विकासशील देशों की अपेक्षा अधिक होती है. लोगों का जीवन स्तर हाई होता है.