वाशिंगटन.जलवायु परिवर्तन के बढ़ते परिणामों के कारण विनाशकारी आपदाएं मानव जाति के लिए बड़ी तबाही का कारण बनती हैं, जो दुनियाभर के लोगों के जीवन और आजीविका को प्रभावित कर सकती हैं। संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट की मानें तो अगले आठ सालों में मानव जाति को और अधिक भयानक आपदाओं का सामना करना पड़ेगा। दुनियाभर के लोगों को हर साल 560 आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। रिपोर्ट में आगाह किया गया कि आने वाले वर्षों में पृथ्वी पर और भी अधिक तबाही हो सकती है।
दुनिया 2015 से हर साल तकरीबन 400 आपदाओं को झेल रही है और जो स्थिति वर्तमान में है वही बनी रही तो 2030 तक यह आंकड़ा बढ़कर 560 तक पहुंच सकता है। सिर्फ प्राकृतिक आपदाओं की ही बात नहीं की गई है बल्कि, जलवायु परिवर्तन के कारण पैदा होने वाली अन्य स्थितियों जैसे आर्थिक मंदी, महामारी या रासायनिक दुर्घटनाओं का भी जिक्र किया गया है, जिनके कारण मानव जाति को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
रिपोर्ट से पता चला है कि 2030 तक पहुंचते-पहुंचते 2001 की तुलना में गर्मी तीन गुना अधिक होगी और 30 प्रतिशत अधिक सूखा पड़ेगा। ना सिर्फ प्राकृतिक आपदाओं की बात की गई है, बल्कि कोरोना महामारी, आर्थिक मंदी और जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न भोजन की कमी की स्थिति के बारे में भी बात की गई है।
जलवायु परिवर्तन के कारण सिर्फ प्राकृतिक आपदाओं में ही बढ़ोतरी नहीं हुई है बल्कि कोरोना, आर्थक मंदी और खाद्य समस्या जैसी विपदाएं भी पैदा हो गई हैं। संयुक्त राष्ट्र के आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय की प्रमुख मामी मिजतोरी का कहना है कि अगर इसे संतुलित करने के लिए जल्द ही काम शुरू नहीं किया गया तो आगे और ज्यादा नुकसान झेलना पड़ेगा, जिसकी भरपाई करना बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाएगा।
प्राकृतिक आपदाओं की अधिक संभावना वाले क्षेत्रों में बढ़ती आबादी के कारण आपदाओं का प्रभाव भी बढ़ गया है। संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि 1990 में आपदाओं से दुनिया को सालाना लगभग 70 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था, जो अब बढ़कर 170 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।