ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इंसानों को नवग्रह प्रभावित करते हैं. कई बार ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम करने या किसी ग्रह को मजबूत करने के लिए लोग उन ग्रहों से संबंधित रत्नों को धारण करते हैं. लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो बिना किसी जानकार से कुंडली दिखाएं रत्नों को धारण कर लेते हैं.
अगर आप भी ऐसा करते हैं तो सावधान हो जाएं, क्योंकि बिना कुंडली दिखाए रत्न धारण करने से उसके अच्छे प्रभाव की जगह दुष्प्रभाव भी मिल सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि आप बर्बादी की कगार तक पहुंच जाएं. लखनऊ के ज्योतिषाचार्य अंबिकेश्वर तिवारी ने बताया कि रत्न इतने शक्तिशाली होते हैं कि वो इंसान को बुलंदियों पर भी पहुंचा सकते हैं और नीचे भी गिरा सकते हैं.
अगर रत्न को सही तरीके से जांच परख कर विधिपूर्वक धारण किया जाए तो इंसान की जिंदगी और उसके करियर में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं. अगर बिना जांचे या फैशन में रत्न पहने तो इंसान बर्बाद भी हो सकता है. इसलिए हमेशा रत्न को धारण करने से पहले अपनी कुंडली या हाथों की रेखाओं की जांच अच्छे से करा लें. ज्योतिषाचार्य के परामर्श पर ही रत्न पहनें.
ग्रह और उनके रत्नों की जानकारी भी बहुत जरूरी है. जैसे सूर्य के लिए माणिक, शनि के लिए नीलम, बुध के लिए पन्ना, गुरु के लिए पुखराज, शुक्र के लिए ओपल/हीरा, राहु के लिए गोमेद, मंगल के लिए मूंगा और चंद्रमा के लिए सफेद मोती धारण करना चाहिए. इसके अलावा रत्नों का वजन भी महत्वपूर्ण होता है. कई बार कम वजन का रत्न पहनने से लाभ नहीं मिल पाता.
एस्ट्रो-न्यूमेरोलॉजी के विशेषज्ञ अर्जुन दास ने बताया कि कभी भी किसी भी रत्न को साढ़े सात रत्ती का नहीं पहनना चाहिए. हमेशा सवा सात यानी सवा शब्द जहां इस्तेमाल हो उतने ही रत्ती का रत्न पहनना चाहिए. बताया कि साढ़े सात शब्द को शनि की साढ़ेसाती से जोड़ा जाता है, इसलिए इतने रत्ती का कोई भी रत्न पहनना शुभ नहीं माना जाता है.
लखनऊ के ज्योतिषाचार्य दिनेश शास्त्री के मुताबिक, किसी भी रत्न को धारण करने से पहले उसका तालमेल किस धातु के साथ है, इसे भी देख लेना चाहिए. रत्न में जैसे माणिक को हमेशा तांबे में पहनना चाहिए, जबकि पन्ना या मोती को चांदी में, पुखराज, मूंगा, हीरा और ओपल को सोने में ही पहनना चाहिए. बताया कि जब बात आती है नीलम की तो इसे कोशिश करें सोना, चांदी या फिर पंचधातु में ही पहनें.
लखनऊ के मशहूर रत्न केंद्र के प्रमुख अविनाश जैन ने बताया कि लोग छोटी-छोटी दुकानें खोलकर रत्नों को बेच रहे हैं. बिना किसी प्रमाण पत्र के उन रत्नों को ग्राहकों को दे देते हैं. जबकि हमेशा रत्न लेते समय प्रमाण पत्र जरूर लें. प्रयोगशाला में रत्नों की जांच के बाद ही प्रमाणपत्र दिया जाता है, जिस पर यह लिखा होता है कि यह रत्न असली है. बताया कि असली रत्नों की पहचान करके ही उसे धारण करें.