लोनी। युद्ध के दौरान यूक्रेन में फंसे बंथला निवासी गौतम चौधरी शुक्रवार को अपने घर पहुंच गए। उनके पहुंचने से घर पर खुशी का माहौल है। पिता ने कहा कि बेटा घर लौट आया इससे बड़ी बात और कोई नहीं हो सकती। लवीव से हंगरी बॉर्डर तक पहुंचने के लिए उन्हें ब्लैक में ट्रेन का टिकट खरीदना पड़ा।
गौतम ने कहा कि बॉर्डर तक पहुंचने के लिए भारतीय विद्यार्थियों के साथ ही अलग-अलग देशों के विद्यार्थी भी थे। जिसकी वजह से ट्रेनें फुल हो रही थीं और टिकट ब्लैक में मिल रहे थे। मुंह मांगा दाम देकर लोग टिकट ले रहे थे। गौतम को यह टिकट तीन हजार रुपये में मिला। उन्होंने कहा कि लवीव पहुंचने के बाद भी हंगरी बॉर्डर पहुंचने के लिए ट्रेन से सफर करना था। उनकी तीन ट्रेनें छूट चुकी थीं। ऐसे में उनके वरिष्ठ साथी जो कि वहां की भाषा समझते थे, उनसे बात की और टिकट लिया तब जाकर वह हंगरी बॉर्डर पहुंचे। गौतम का कहना है कि यूक्रेन में फंसे भारतीय विद्यार्थियों के लिए यह अच्छी बात है कि यहां की सरकार बच्चों के साथ है। दूसरे देशों के विद्यार्थी अपने रिस्क पर ही वतन वापसी कर रहे हैं।
तीन विद्यार्थियों का इंतजार
लोनी के कुल 11 लोग यूक्रेन में फंसे थे। इनमें से आठ लोग अब तक लौट चुके हैं जबकि विशाखा, अभिषेक और अजय अभी नहीं लौटे हैं। विशाखा के पिता डॉक्टर संजीव ने बताया कि उनकी बेटी जहां है, वहां धमाके हो रहे हैं। उसे भारत लाने का प्रयास कर रहे हैं। अभिषेक की मां संतोष ने बताया कि उनका बेटा बॉर्डर पर है। जल्द ही वह फ्लाइट के माध्यम से भारत आएंगे। इससे पहले जहां वह रह रहे थे, वहां धमाके नहीं हो रहे थे। मेवला भट्टी गांव में रहने वाले अजय के पिता डॉक्टर उदयवीर ने बताया कि उनका बेटा बॉर्डर पर है।