कैथल : हरियाणा में बागी भाजपा और कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ रहे हैं। नाराजगी और सहानुभूति दो बड़े फेक्टर हैं। जातीय समीकरण भी हावी है, जाट वोट बैंक बंटा तो कांग्रेस और भाजपा की मुशिकलें बढ़ेंगी।
विश्व को विकास का सिद्धांत देने वाले ऋषि कपिल मुनि की धरती कलायत विकास की बाट जोह रही है। हर बार नए चेहरे को मौका देने वाली इस धरती पर इस बार टूटी सड़कों के बीच उड़ती धूल की तरह ही चुनाव की तस्वीर भी धुंधली है। हां, इस बार विकास कार्यों की बजाय लिस्पिस्टक पाउडर के बयान का ज्यादा शोर है।
कलायत शहर और हलके के गांवों में समस्याओं के ढेर लगे हैं, लेकिन प्रत्याशी मुद्दों की बजाए व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप में उलझे हैं। जाट बाहुल इलाके में विकास कार्यों की बजाए जातीय समीकरण हावी हैं। यहां मुकाबला बहुकोणीय नजर आता है, अगर जाट वोट बैंक बंटा तो कांग्रेस और भाजपा दोनों के प्रत्याशियों की मुशिकलें बढ़ सकती हैं।
जाट बाहुल इलाके में प्रमुख रूप से पांच बड़े जाट चेहरों के मैदान में उतरने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है और जाट वोट बैंक के बंटने का खतरा है। सांसद जेपी कांग्रेस की हवा और खुद के बहाए पसीने के दम पर अपने बेटे को हलके की विरासत सौंपने के लिए ताकत लगाए हुए हैं।
सरकार में साढ़े चार साल मंत्री रही कमलेश ढांडा भी विकास कार्यों के दम पर वोट मांग रही हैं, लेकिन उनको एंटी इंकमबेंसी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन भाजपा का जमीनी स्तर पर मजबूत संगठन उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
इसी प्रकार, गांवों में बिना खर्ची पर्ची के लगी नौकरियां भी उनके प्रति सकारात्मक माहौल बना रही हैं। इनेलो-बसपा के रामपाल माजरा को यहां अपने पुराने रसूख और परंपरागत वोट बैंक से आस है। आप के अनुराग ढांडा यहां नई सियासी जमीन तलाशने की फिराक में हैं, लेकिन स्थिति मजबूत नहीं दिख रही है। लेकिन दलों के प्रत्याशियों की परेशानी निर्दलीय बढ़ा रहे हैं। निर्दलीय अनिता ढुल भी पूरी ताकत लगाए हुए हैं।
वहीं, भाजपा से बागी निर्दलीय गैर जाट चेहरे विनोद निर्मल ब्राह्मण समाज से हैं और इनको गैर जाट मतदाताओं राजपूतों के साथ-साथ पिछड़ा वर्ग से समर्थन मिल रहा है। 2 लाख से अधिक मतदाताओं में ग्रामीण इलाके से अधिक हैं। देखना यह है कि इस बार किसको जीत का आशीर्वाद देते हैं।
कांग्रेस सांसद जेपी द्वारा महिलाओं को लेकर दिए गए बयान (जे लिपस्टिक-पाउडर लाकै लीडर बनै, तो मैं ही लगा लूं। फेर दाढ़ी क्यों रखूं।) को लेकर लोगों में और खासकर महिलाओं में अधिक नाराजगी है। नाराजगी का यही शोर सांसद के बेटे कांग्रेस प्रत्याशी सहारण को डेंट भी पा रहा है। हालांकि, जेपी इसके लिए खेद जता चुके हैं, लेकिन नाराजगी का आलम अब भी जारी है।
कांग्रेस से बागी अनिता ढुल जेपी के बयान को मुद्दा बना सहानुभूति बटोर रही हैं तो भाजपा से बागी विनोद निर्मल के पिता का चुनाव के बीच निधन होने से सहानुभूति है। वहीं, आम आदमी पार्टी के अनुराग ढांडा जमीन तलाश की कोशिश में है, लेकिन यहां उनके प्रति कम रुझान है। अगर मतदान तक बयान को लेकर यही नाराजगी और यही सहानुभूति रही तो कलायत का परिणाम कुछ भी हो सकता है।
कलायत जाने के लिए जरूर हाईवे है, शहर की मुख्य सड़क भी ठीक है, लेकिन यहां पर बेसहारा पशु आपका रास्ता रोकते हैं। मुख्य सड़क के साथ साथ बाजार में पशुओं के झुंड इस बात का गवाह हैं कि यह शहर के लिए बड़ा मुद्दा है। दूसरा, शहर में सफाई कम है। हलके सबसे बड़े कस्बे राजौंद में टूटी सड़क और पानी निकासी की बड़ी समस्या हैं। असंध से कैथल को जोड़ने वाली सड़क पिछले ढाई साल से गड्ढों में तब्दील है।
जरा सी बारिश पर सड़क पानी से भर जाती है। खास बात ये है कि सत्ताधारी पार्टी की प्रत्याशी भी इस सड़क से राजौंद में वोट मांगने आती हैं, लेकिन उनको यहां के लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। नरवल गांव के कर्ण सिंह राजौंद में सब्जी बेचते हैं। कहते हैं, कई माह से धंधा चौपट है, सड़क के साथ गांव की गलियां भी चौपट हैं।
मिट्टी लगने से बार बार सब्जी धोनी पड़ती है और खराब भी हो जाती है। दुकानदार मनीष कुमार, संदीप सिंह का कहना है कि कई दुकानदारों के काम प्रभावित हैं, वहीं कुछ लोग धूल के चलते बीमार भी हो रहे हैं। आंखों में जलन आम हो गई है। कर्मपाल का कहना है कि सड़क के नाम पर केवल खानापूर्ति की गई, नेता वोट मांगने आते हैं, लेकिन सड़क ठीक कराने के बारे में कोई नहीं बोल रहा है।
महिलाओं को दिए गए बयान का हलके में पूरा असर है। स्थानीय लोग और महिलाएं भी इस मुद्दे को लेकर मुखर हैं और सांसद के व्यवहार पर सवाल उठा रहे हैं। जेपी के गांव दुबल के पड़ोसी गांव कुराड़ की महिला ज्ञानों देवी मानती हैं कि नेता को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए, बहन बेटी सभी की होती हैं। चुनाव को उनको इस बयान का मतलब पता लग जाएगा। खुद उनके गांव के भी लोग मानते हैं कि महिलाओं को लेकर ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था। अगर ये नाराजगी लोगों ने मतदान में जाहिर कर दी तो विकास सहारण की परेशानी बढ़ सकती है।
दरअसल सांसद जेपी हलके गांव दुबल कलायत हलके में ही पड़ता है और वह एक बार यहां से निर्दलीय विधायक भी रहे हैं। जेपी अपने नाम के आगे और पीछे कोई गौत्र नहीं लगाते हैं, लेकिन इस बार उनके बेटे मैदान में हैं और उन्होंने विकास के साथ सहारण लगाया है। ऐसे में कुछ लोग इसको भी मुद्दा बना रहे हैं। इस हलके में ढुल गोत्र और सहारण गोत्र का प्रभाव है, सेरधा, हरसोला, बड़सीकरी, और हरसोला खेड़ी के गांव में ढुल गोत्र की तादाद ज्यादा हैं।
महिलाओं को लेकर दिए बयान के बाद ढुलों के गांवों ने जेपी का विरोध करते हुए अनिता ढुल का साथ देने का वादा किया है। कुराड़ गांव के जयभगवान भी मानते हैं कि पहले कभी ऐसा नहीं था, लेकिन इस बार गोत्र भी मुद्दा है। कमलेश ढांडा ने गांवों में विकास के लिए खूब राशि दी है। यहीं के बलविंद्र का कहना है कि बिना खर्च के नौकरियां भी लगी हैं।
कलायत ताऊ देवीलाल का गढ़ रहा है। यहां कांग्रेस ने तीन बार जीती है तो जनता पार्टी, लोकदल और इनेलो 2-2 बार जीत चुकी है। एक-एक बार हविपा और निर्दलीय यहां से जीते हैं। दो महिलाओं को यहां से चुनाव जीतने का मौका मिला है। इस बार भी दो महिलाएं कमलेश ढांडा और अनिता ढुल मैदान में हैं।