नई दिल्ली: रामपुर के अनोखे खानपान में ‘भुट्टे की कढ़ी’ का अपना एक खास स्थान है. यह डिश अपनी विशेष सामग्री और स्वाद के कारण रामपुर के लोगों के दिलों में बसी हुई है. भुट्टे की कढ़ी न केवल एक साधारण पकवान है, बल्कि रामपुर की संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे आज भी नवाबों के महलों में बड़े चाव से तैयार किया जाता है.

भुट्टे की कढ़ी बनाने के लिए सबसे पहले मकई के ताजे दानों को उबाल लिया जाता है, ताकि उनका स्वाद पूरी तरह से निखार आए. इसके बाद इस कढ़ी को बनाने के लिए देशी घी में छौंका लगाया जाता है, जो इसके जायके को और भी लाजवाब बना देता है. खास बात यह है कि इसमें रामपुर के स्थानीय मसाले, विशेष रूप से पीली मिर्च का इस्तेमाल होता है, जो इसे अनोखा और तीखा स्वाद देता है.

दही और बेसन का पेस्ट तैयार कर इसे घी में छौंक लगाकर काफी देर तक किसी बड़े बर्तन की मदद से तब तक चलाया जाता है, जब तक कढ़ी में उबाल न आ जाए. फिर भुट्टे के उबले हुए दानों के साथ मिलाया जाता है.

यह प्रक्रिया न केवल इसकी खुशबू बढ़ाती है, बल्कि इसके स्वाद में भी गहराई लाती है. नवाबी शेफ इसे धीमी आंच पर पकाते हैं, ताकि इसके सारे मसाले और सामग्री अच्छे से घुल-मिल जाएं और हर बाइट में उसका असली जायका महसूस हो.

भुट्टे की कढ़ी को नवाबों के दौर में शाही मेहमानों के स्वागत के लिए खास तौर पर परोसा जाता था. नवाबी खानसामों की रसोई में यह डिश तब भी उतनी ही मशहूर थी, जितनी आज है. जब भी कोई मेहमान शाही महल में आता था. उसे इस अनोखे व्यंजन के साथ स्वागत किया जाता था, ताकि वह रामपुर की खासियत का स्वाद ले सकें.

भुट्टे की कढ़ी न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि इसे बनाने की प्रक्रिया भी बेहद सरल और पौष्टिक होती है. इस डिश का मुख्य आकर्षण यह है कि इसमें स्थानीय सामग्री और मसालों का उपयोग होता है, जो इसे स्वाद और सेहत दोनों के लिहाज से एक बेहतरीन विकल्प बनाता है.