लखनऊ: लखनऊ के लोगों के लिए अच्छी खबर है। नगर निगम ने 2025 का तोहफा दिया है। नए वित्तीय वर्ष में गृहकर की दरें नहीं बढ़ेंगी। गृहकर नहीं बढ़ने से जलकर की दरें भी नहीं बढ़ेंगी।
शहरवासियों के लिए राहत भरी खबर है। नए वित्तीय वर्ष में गृहकर की दरें नहीं बढ़ेंगी। गृहकर नहीं बढ़ने से जलकर की दरें भी नहीं बढ़ेंगी। इसका करीब 8.50 लाख भवनस्वामियों को फायदा होगा।नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने बताया कि पिछले 14 साल से गृहकर दरें नहीं बढ़ाई गई हैं। नए वित्तीय वर्ष में भी दरें नहीं बढ़ाई जाएंगी। नगर निगम की आमदनी बढ़ाने के लिए छूटे मकानों को टैक्स के दायरे में लाया जाएगा। जलकर का निर्धारण गृहकर के आधार पर ही किया जाता है। ऐसे में गृहकर नहीं बढ़ने से जलकर भी नहीं बढ़ेगा।
पिछली बार गृहकर की दरें 2010 में बढ़ाई गई थीं। गृहकर का निर्धारण इलाके के हिसाब से होता है। दरें बढ़ाने के लिए नगर निगम प्रशासन ने कई बार प्रयास किए, लेकिन राजनीतिक वजहों से सदन में प्रस्ताव पास नहीं हो सका। दरअसल, कभी विधानसभा चुनाव, तो कभी लोकसभा और कभी नगर निगम चुनाव की वजह से ऐसा नहीं हो सका। हालांकि, इसको लेकर नगर निगम सदन में अफसरों ने दलील भी दी थी कि शहर में सुविधाएं व पार्षद कोटा और बढ़ाना है, तो गृहकर की दरों को भी बढ़ाया जाना चाहिए। यह भी कहा गया कि गृहकर से ही 70 से 80 प्रतिशत आय होती है। इस पर सदन सहमत नहीं हुआ।
नगर निगम अधिनियम के तहत हर दो साल में गृहकर की दरों में बदलाव कर उसको बढ़ाया जा सकता है। ऐसे में यदि निगम प्रशासन अधिनियम पर अमल करता तो सात बार टैक्स की दरें बढ़तीं। वहीं, चार साल में पूरे शहर का सर्वे कर नए सिरे से गृहकर निर्धारण करना होता है, ताकि जो छूटे हैं, वे भी टैक्स के दायरे में आ जाएं। लेकिन यह काम भी 14 साल से नहीं हुआ।
पिछले दिनों हुए जीआईएस सर्वे में कुछ छूटे मकान सामने आए हैं, लेकिन सर्वे सही नहीं होने से समस्या आ रही है। सर्वे में कई जगह झुग्गियों को भी मकान बता दिया गया। यह सच तब सामने आया जब कर्मचारियों ने मौके पर जाकर जीआईएस सर्वे की रिपोर्ट का सत्यापन किया।
करीब आठ साल पहले गृहकर (आवासीय व गैर आवासीय) की दरों में 50 प्रतिशत तक बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव तैयार हुआ था। यह प्रस्ताव पास होकर लागू हो जाता, तो गृहकर के साथ ही जलकर का भी भार शहरवासियों पर बढ़ जाता।