तेहरान. ईरान में हिजाब न पहनने के कारण पुलिस की बर्बरता का शिकार हुई एक 22 वर्षीय छात्रा महसा अमिनी की मौत ने इस्लामिक देश में विरोध प्रदर्शनों की बाढ़ ला दी है. ईरान में जगह-जगह हो रहे हिजाब विरोधी प्रदर्शनों में कई महिलाएं हिजाब को आग लगाती हुई दिख रही हैं. ईरान की न्यूज एजेंसी एतेमाद के मुताबिक महसा अमिनी अपने भाई के साथ तेहरान स्थित हघानी मेट्रो स्टेशन के सामने खड़ी थीं. तभी हिजाब को लागू कराने के लिए बनी मोरलिटी पुलिस ने छात्रा को गिरफ्तार कर लिया, जहां हिरासत में अमिनी की मौत हो गई. हिजाब को लेकर हुई मौत के बाद दुनियाभर में यह बहस छिड़ गई है कि ईरान जहां कभी महिलाएं बिकनी पहनकर घूमने में नहीं हिचकती थीं वहां एकाएक हिजाब न पहनने को लेकर हत्याएं क्यों हो रही हैं?
1950 के दौर में अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA द्वारा सत्ता में बिठाए गए मोहम्मद रज़ा पहलवी ने इस्लामिक मुल्क में जमकर बदलाव किये थे. इन बदलावों में महिलाओं के वोट करने के अधिकार से लेकर कपड़े पहनने की आजादी तक शामिल थी. इसी कड़ी में महिलाओं का शॉर्ट्स और यहां तक कि समुद्र किनारे बिकनी में घूमना बेहद आम बन गया था. यहां तक कि क्लब और बार में महिलाएं पुरुषों के साथ शामिल हो सकती थीं. हालांकि इस्लामिक क्रांति होने के बाद स्थिति तेजी से महिलाओं के खिलाफ चली गई. अब न तो महिलाएं मन मुताबिक वस्त्र धारण कर सकती हैं और न ही खुले बालों में घूम सकती हैं.
ईरान से बाहर रहकर ‘माई स्टैल्थी फ्रीडम’ नाम की संस्था चलाने वाली मसीह अलीनेजादी बताती हैं कि ईरान में महिलाएं अपने बालों में हवा को महसूस करना चाहती हैं. कभी स्विम सूट में बोल्ड नजर आने वाली महिलाएं आज बालों में हवा महसूस करने के लिए बेताब हैं. अलीनेजादी के मुताबिक ईरानियन रेवोलुशन के बाद जन्म लेने वाली महिलाओं ने आज तक अपने बालों में खुली हवा को महसूस नहीं किया है. इसी का विरोध अक्सर महिलाएं करती हैं जिन्हें संस्कार सिखाने के नाम पर मोरलिटी पुलिस जबरन गिरफ्तार कर बेदर्दी से पीटती है. ऐसे कई वीडियो अलीनेजादी ने अपने फेसबुक पेज पर शेयर किये हैं, जहां महिलाओं को ढीला हिजाब पहनने के लिए जबरन गिरफ्तार किया जा रहा है. ईरान में 1979 से पहले महिलाएं जहां पुरुषों के साथ समुद्र में बिकनी में आनंद ले सकती थीं वहीं आज उन्हें साथ नहाने पर भी मनाही है. हिजाब के कारण मृत्यु के बाद सोशल मीडिया पर बिकनी पहनी ईरानी महिलाओं की कई फोटो शेयर कर हिजाब का खुलकर विरोध किया जा रहा है. ऐसी ही एक रिपोर्ट में ब्रिटेन की न्यूज वेबसाइट डेली स्टार द्वारा ईरानी महिलाओं की तंग स्विमसूट पहने फोटो को डालकर कटाक्ष किया गया है कि आज के समय में महिलाओं के लिए ऐसा सोच पाना भी संभव नहीं है.
ईरान में महिलाओं पर नजर रखने के लिए वर्ष 2005 में मोरलिटी पुलिस या गश्त-ए-इरशाद का गठन किया गया था. यह पुलिस अक्सर सड़कों पर महिलाओं को गाड़ियों में खींचती मिल जाती है. ईरान की नेशनल सिक्योरिटी फोर्स के मुख्य अधिकारी इस्माइल अहमदी के अनुसार हर साल मोरलिटी पुलिस लगभग 36 लाख महिलाओं को गिरफ्तार करती है. ईरान की वेबसाइट ईरान वायर के मुताबिक पुलिस बच्चियों से लेकर बूढ़ी महिलाओं को हिजाब ना पहनने के लिए गिरफ्तार कर लेती है, जिसमें कइयों को अक्सर अपनी जान गंवानी पड़ जाती है. 2019 में एक छोटी लड़की को लड़कों के साथ खेलने के आरोप में भी गिरफ्तार करने का मामला काफी विवादों में रहा था.
ईरान वायर की रिपोर्ट के अनुसार 28 अप्रैल को ईरान नेशनल बॉक्सिंग टीम के पूर्व सदस्य और चैंपियन रेज़ा मोरादखानी को एक हिजाब विवाद के बाद गोलियां मार दी गई थीं. घटना तब हुई जब मोरलिटी पुलिस ने उनकी पत्नी मारिया अरेफी को अनुचित रूप से हेडस्कार्फ पहनने के कारण रोका था. इसी बीच हुई बहस में पुलिस ने महिला को बुरी तरह पीटा था और पति को एक के बाद एक चार गोलियों से भून दिया. इस मामले में आरोपी पुलिसकर्मी को कुछ महीनों बाद रिहा कर दिया गया था.
मोरलिटी पुलिस के बढ़ते अत्याचारों के बीच अब महिलाएं खुलकर विरोध करने लगी हैं. महसा अमिनी की मौत के बाद हो रहे विरोध प्रदर्शनों में जमकर हिजाब का विरोध होने लगा है. ईरान पर रिपोर्ट करने वाली पत्रकार गोलनाज़ एस्फंदियारी ने अपने ट्विटर पर एक महिला की प्रदर्शन के दौरान हिजाब जलाते हुए फोटो पोस्ट की है. ईरान पुलिस के सामने अपना हिजाब जलाते हुए दिख रही महिला सुप्रीम लीडर अली खामेनेई के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी कर रही है. प्रदर्शनकारी ‘डेथ टू खामेनेई’ के नारों के साथ हिजाब का खुलकर विरोध कर रहे हैं.
ईरान के पर्शियन ट्विटर पर देश के करीब 20 लाख लोगों ने हिजाब के विरोध में ट्वीट किये हैं. रॉयटर्स के मुताबिक मृतक महसा अमिनी के समर्थन में #MahsaAmini हैशटैग को 20 लाख से अधिक लोगों ने ट्वीट किया है. ट्वीट के साथ कई महिलाएं मोरलिटी पुलिस को लानत देते हुए बिना हिजाब के अपनी फोटो भी डाल रही हैं.