नई दिल्ली: खेती किसानी के साथ ही लोग पशुपालन का काम बड़े स्तर पर कर रहे हैं. जिसमें वह दुधारू पशुओं गाय, भैंस, बकरी का पालन बड़ी संख्या में करते हैं. दुधारू पशुओं के लिए हरा चारा बेहद जरूरी माना जाता है. क्योंकि यह पशुओं के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होने के साथ ही उनकी दुग्ध उत्पादन की क्षमता में वृद्धि करने में भी सहायक होता है. रिपोर्ट- सौरभ वर्मा

इसीलिए पशुपालक पशुओं को हरे चारे के रूप में विभिन्न प्रकार का हरा चारा ( बारसीम घास, ग्वार,मक्का ,बाजरा एवं ज्वार का प्रयोग करते हैं. क्योंकि यह हरा चारा आसानी से तैयार हो जाता है. लेकिन इन सभी हरे चारे में शामिल ज्वार को पशुओं को खिलाने के दौरान कई सावधानियां बरतनी चाहिए. तो आइए पशु विशेषज्ञ से जानते हैं कि आखिर ज्वार को हरे चारे के रूप में पशुओं को खिलाने के दौरान कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए?

पशु चिकित्सा के क्षेत्र में 20 वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली जिले के राजकीय पशु चिकित्सालय शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी डॉ इंद्रजीत वर्मा बताते हैं कि ज्वार (हरा चारा) पशुओं के लिए फायदेमंद माना जाता है. परंतु पशुपालक इसकी कटाई के दौरान कुछ गलतियां कर देते हैं.

जिससे यह पशुओं के लिए फायदे की जगह नुकसान पहुंचता है. दरअसल वह बताते हैं कि ज्वार को बुवाई के लगभग 50 दिन बाद कटाई करना चाहिए. साथ ही इसकी सिंचाई करते रहना चाहिए. क्योंकि ज्वार में पानी की कमी होने पर उसमें हाइड्रोजन साइनाइड के तत्व पनपने लगते हैं. जो पशुओं के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर डालता है.

हरे चारे में नमी की मात्रा काफी अधिक होती है. जिससे पशु हरे चारे का सेवन ज्यादा करते हैं, तो उन्हें डायरिया सहित कई अन्य गंभीर बीमारियों के खतरा भी बढ़ जाते हैं. साथ ही अधिक नमी होने पर दूध की गुणवत्ता में भी प्रभाव पड़ता है. इसीलिए जरूरी है कि हमेशा पशु को हरे चारे के साथ सूखा चारा मिलाकर देना चाहिए. साथ ही कुछ मात्रा में अनाज का मिश्रण भी देना चाहिए. जिससे उनका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा. साथ ही ऐसा करने से दूध में वसा की मात्रा में भी बढ़ोतरी होती है.