नई दिल्ली : आम-तौर पर अगर वर्ल्ड कप फाइनलिस्ट टीमें आपस में कुछ ही महीने बाद टकराती हैं तो उस सीरीज की चर्चा ना सिर्फ उन दो मुल्कों में बल्कि पूरी दुनिया में होती है. लेकिन, 29 जून को बारबेडोस के केसिंग्टन ओवल में टी20 वर्ल्ड के फाइनल में आमने-सामने होने वाली दोनों टीमें यानि कि भारत और दक्षिण अफ्रीका 8 नंवबर से लेकर 15 नवंबर (एक हफ्ते में 4 मैच) में खेल रही हैं तो उसकी चर्चा में वो गरमाहट नहीं है. इसकी अहम वजह शायद रोहित शर्मा की टीम का आकस्मिक तरीके से न्यूजीलैंड से हारना हो सकता है या फिर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए टीम इंडिया के ऑस्ट्रेलिया दौरे का इंतजार.

लेकिन, सूर्यकुमार यादव और उनके साथियों का पता है कि ये बात और ये सीरीज सिर्फ एक हफ्ते या कुछ महीने की ना होकर जून 2026 में भारत-श्रीलंका में होने वाले अगले वर्ल्ड कप तक की है. ये तय है कि अगले साल यानि कि दिसंबर 2025 तक ना तो यशस्वी जायसवाल, शुभमन गिल और ना ही ऋषभ पंत टी20 क्रिकेट के लिए उपलब्ध होंगे. यही हाल गेंदबाजी में जसप्रीत बुमराह और कुलदीप यादव का होने वाला है. ऐसे में अगले एक साल में सूर्या की कप्तानी में जितने खिलाड़ी शानदार खेल दिखाते हुए निरंतरता का प्रदर्शन करेंगे उनके लिए उतना ही बेहतर.

ये बात संजू सैमसन से बेहतर और कौन समझ सकता है. 2021 में संजू को टी20 वर्ल्ड कप खेलने का मौका ही नहीं मिला जबकि इसके ठीक अगले साल 2022 में वो टीम में आते-आते रह गए क्योंकि दिनेश कार्तिक की जबरदस्त तरीके से वापसी हो गई और पंत तो थे ही. रोहित शर्मा ने खुद टेलीफोन करके संजू को समझाया था कि वो उनके नहीं चुने जाने पर मायूस थे लेकिन उन्हें ये भी ढाढस बंधाया था कि वो अगली बार टी20 वर्ल्ड कप में जरूर होंगे. संजू ने बेहतर खेल लगातार बरकरार रखा और जो भी मौके मिले उसमें छाप छोड़ते रहे जिसके चलते वो वर्ल्ड चैंपियन टीम का हिस्सा भी बने. लेकिन, संजू एक भी मैच नहीं खेल पाए क्योंकि पंत नियमित रुप से प्लेइंग इलेवन का हिस्सा रहे. ये अलग बात है कि फाइनल से ठीक एक दिन पहले संजू के खेलने की संभावना बनी थी लेकिन आखिरी लम्हों में कप्तान ने पंत के अनुभव को ही तरजीह दी.

अब सूर्या की कप्तानी में संजू को ओपनर के तौर पर एक नया रोल मिला है. अगस्त के महीने में श्रीलंका दौरे पर शुरुआत अच्छी नहीं रही लेकिन उसके बाद संजू ने बांग्लादेश के ख़िलाफ पिछली घरेलू सीरीज़ में शानदार शतक जड़कर दिखाया कि वो रोहित शर्मा जैसे ओपनर की कमी इस फॉर्मेट में पूरा करने की कोशिश करेंगे. साउथ अफ्रीका के पिछले दौरे पर वनडे सीरीज के दौरान संजू ने शतक लगाया था और उनकी कुछ अच्छी यादें इस देश से जुड़ी हैं. ऐसे में संजू ने इस सीरीज़ में कम से कम दो अर्धशतक भी बनाते हैं या फिर हर मैच में मैच जिताने वाली उपयोगी पारियां भी खेलते हैं तो ये माना जा सकता है कि उनकी प्रगति सही हो रही है. कुछ ऐसा ही हाल संजू के साथी ओपनर और युवा बल्लेबाज अभिषेक शर्मा का है. युवराज सिंह को अपना आदर्श मानने वाले अभिषेक ने इस साल साल आईपीएल में ट्रेविस हेड जैसे धुरंधर ओपनर को भी कई मौकों पर उन्नीस साबित किया था लेकिन जल्द ही उन्हें ये पता चला कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और आईपीएल में अच्छा फासला है. अब तक छोटे से करियर में ज़िम्बॉब्वे के ख़िलाफ उनका एक धुआंधार शतक तो हैं लेकिन उसके अलावा 6 पारियों में वो 17 रन का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए हैं. 24 साल के इस ओपनर ने अगर संजू की ही तरह टॉप ऑर्डर में स्थिरता दिखाने में कामयाबी हासिल की तो कप्तान का सिरदर्द काफी हद तक कम हो जाएगा.

रियान पराग और मंयक यादव जैसे खिलाड़ी जो भविष्य की योजनाओं का अहम हिस्सा हैं, अनफिट होने के चलते इस दौरे पर आए ही नहीं है. नीतीश कुमार रेड्डी और वाशिंगटन सुंदर जिन्हें पिछली बांग्लादेश सीरीज तक टी20 की भविष्य की टीम का हिस्सा माना जा रहा था वो साउथ अफ्रीका की फ्लाइट ना लेकर पर्थ जा रहे हैं टेस्ट टीम के साथ.

ऐसे में दारोमदार ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या और रिंकू सिंह के कंधों पर काफी होगा. पंड्या ने पिछली सीरीज में कप्तानी की निराशा को भुलाते हुए मैन ऑफ द सीरीज का ख़िताब जीता था और उन्हें पता है कि अगले साल चैंपियन ट्रॉफी में वन-डे टीम में अपनी अहमियत को फिर से रेखांकित करने के लिए साउथ अफ्रीका में उन्हें वही जलवा बिखेरना पड़ेगा. अगर पंड्या लगातार अपने खेल में संयम और निरंतरता दिखाते हैं तो निश्चित तौर पर वो चयनकर्ताओं के लिए कप्तानी के विकल्प के तौर पर हमेशा एक अच्छी पसंद हो सकते हैं. इसका साफ मतलब है कि निजी तौर पर पंड्या के लिए ये सीरीज काफी मायने रखती है. रिंकू सिंह भी अगर खुक को टी20 से वन-डे क्रिकेट की तरफ अपग्रेड करना चाहते हैं तो उन्हें फिनिशर के तौर पर अपना सर्वश्रैष्ठ खेल दिखाना होगा.

रवि बिश्नोई को भी पता है उन्हें टीम में अनुभवी युजवेंद्र चहल की जगह इसलिए मौका मिला है क्योंकि वो बेहतर फील्डर हैं और जरूरत पड़ने पर निचले क्रम में उपयोगी रन भी बना सकते हैं. यही हाल दूसरे स्पिनर वरुण चक्रवर्ती का होगा जिन्होंने बांग्लादेश सीरीज में शानदार खेल दिखाया था लेकिन अफ्रीका में तेज गेंदबाज़ों के लिए मददगार पिचों पर वो अपनी मिस्ट्री फैक्टर को बरकरार रख पाएंगे या नहीं, उनके लिए बड़ी चुनौती होगी.

टी20 वर्ल्ड कप के स्टार ऑलराउंडर अक्षर पटेल के लिए भी ये सीरीज काफी दिलचस्प हो सकती है. पिछले कुछ महीनों से वो टेस्ट टीम के साथ अभ्यास करते रहे लेकिन उन्हें 5 में से एक भी घरेलू टेस्ट में खेलने का मौका नहीं मिला. इतना ही नहीं उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम में भी नहीं रखा गया. इसका मतलब साफ है कि चयनकर्ता उन्हें भी फिलहाल इस टी20 फॉर्मेट के लिए ज़्यादा अहम खिलाड़ी मान रहे हैं. यही बात अर्शदीप सिंह के बारें में कही जा सकती है जो बुमराह की ग़ैर-मौजूदगी में तेज गेंदबाज़ी फ्रंट पर टीम इंडिया के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं.

खिलाड़ियों के लिए काफी कुछ साबित करना है लेकिन कोचिंग टीम का क्या? वीवीएस लक्ष्मण भले ही इस दौरे पर हेड कोच की भूमिका में है लेकिन उनकी असली ज़िम्मेदारी बेंगलुरु में सेंटर ऑफ एक्सलेंस की है. यही बात उनके साथी स्पोर्ट स्टाफ साइराज बहुतुले को भी मालूम होगी कि 2026 वर्ल्ड कप में टीम की कमान गौतम गंभीर और उनके साथियों के पास होगी.