दिल्ली : एक महीना होने जा रहा है, जब राजनीतिक उथल-उथल के बीच बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना जल्दबाज़ी में देश छोड़कर भारत में दिल्ली के पास एक सैन्य हवाई अड्डे पर उतरी थीं.

बांग्लादेश में छात्रों के हफ़्तों तक चले विरोध-प्रदर्शन में ख़ून ख़राबा बढ़ने के बाद जब अशांति पूरे देश में फैल गई तो पाँच अगस्त को हसीना की नाटकीय विदाई हुई थी.

शुरू में लग रहा था कि वो भारत में थोड़े समय तक रुकेंगी, लेकिन ऐसी रिपोर्ट हैं कि ब्रिटेन, अमेरिका और यूएई में उनकी शरण लेने की कोशिशें अभी तक कामयाब नहीं हो पाई हैं. ऐसे में हसीना अभी तक भारत में ही हैं.

शेख़ हसीना की मौजूदगी ने भारत के सामने बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार के साथ मज़बूत संबंध बनाने की राह में चुनौती खड़ कर दी है.

भारत के लिए बांग्लादेश महज एक पड़ोसी देश नहीं है. यह एक रणनीतिक साझेदार और भारत की सीमा सुरक्षा, ख़ासकर पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए एक अहम क़रीबी सहयोगी भी है.