तिब्बत का तांगगुला रेलवे स्टेशन दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन है. इसको डांगला रेलवे स्टेशन भी कहते हैं. ये स्टेशन चिंगहई-तिब्बत रेलमार्ग पर है, जो तिब्बत को शेष चीन से जोड़ने वाला पहला रेलमार्ग है, क्योंकि तिब्बत के बहुत ऊँचाई पर स्थित होने के कारण यहाँ किसी भी रेलमार्ग का निर्माण नहीं हो सका था.
इस रेलवे स्टेशन पर कोई स्टाफ नहीं होता. ये आटोमेटिक तरीके से काम करता है. इसको 01 जुलाई 2006 को खोला गया. ये समुद्र की सतह से 5068 मीटर यानि 16627 फीट ऊंचा है. हालांकि इससे भी ऊंचा रेलवे स्टेशन भारत में कश्मीर में चिनाब नदी पर बन रहा है. वैसे इसके बनने से पहले बोलिविया का कोंडोर रेलवे स्टेशन दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन था. जो समु्द्र की सतह से 4786 मीटर यानि 15,705 फीट ऊंचा था.
ये स्टेशन आम्दो काउंटी और किंगहाई प्रांत में है. इस रेलवे स्टेशन पर 03 ट्रैक हैं, एक प्लेटफार्म का काम करता है. बीच के ट्रैक पर ट्रेन शंटिंग कर सकती है या आ जा सकती है. तीसरा ट्रैक छोटे प्लेटफॉर्म पर है. तांगगुला रेलवे स्टेशन की लंबाई 1.25 किलोमीटर है. इस रेलवे स्टेशन पर वर्ष 2010 से पहले कोई पैसेंजर ट्रेन नहीं आती थी, क्योंकि यहां कोई रहता नहीं है लेकिन अब यहां एक पैसेंजर ट्रेन आने लगी है.
इस रेलमार्ग की कुल लम्बाई 1956 किमी है. शिनिंग से गोलमुड तक के 815 किमी लम्बे रेलमार्ग का निर्माण 1984 तक पूरा हो चुका था. शेष 1142 किमी लम्बे भाग का ल्हासा तक का निर्माण वर्ष 2006 में पूरा हुआ. ये रेलमार्ग तांगगुला दर्रे से होकर भी गुजरता है जो 5072 मीटर की ऊंचाई पर है. ये विश्व का सबसे ऊंचा रेलमार्ग भी है.
यही नहीं इस रेल पर 1338 मीटर लंबी फ़ेंघुओशन सुरंग भी है, जिससे ये रेलमार्ग गुजरता है, ये 4905 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. ये विश्व की सबसे ऊंची रेल सुरंग भी है. गोलमुड से ल्हासा उपभाग पर 45 स्टेशन हैं जिनमें से 38 पर कोई स्टाफ नहीं है. इनकी जिनकी निगरानी शिनिंग स्थित कंट्रोल रूम से की जाती है.