दिल्ली। पुरानी पेंशन’ के मुद्दे पर केंद्र और राज्यों के सरकारी कर्मचारी लामबंद हो रहे हैं। दिल्ली का रामलीला मैदान, पुरानी पेंशन के लिए सरकारी कर्मियों की लड़ाई का गवाह बन रहा है। तीन बड़ी रैलियों के बाद 10 दिसंबर को ऑल इंडिया एनपीएस एंप्लाइज फेडरेशन द्वारा ‘पेंशन जयघोष महारैली’ की जाएगी।
‘पुरानी पेंशन’ बहाली सहित कई दूसरी मांगों को लेकर शुक्रवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में सरकारी कर्मियों ने चेतावनी रैली आयोजित की है। इससे पहले ओपीएस की मांग पर बड़ी दो रैलियां हो चुकी हैं। कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स के बैनर तले आयोजित हुई इस रैली में ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एंप्लाइज फेडरेशन सहित करीब 50 कर्मचारी संगठनों हिस्सा लिया।
कर्मियों का कहना था कि केंद्र सरकार को ओपीएस सहित दूसरी मांगों पर सकारात्मक विचार करना होगा। अगर केंद्र सरकार, एनपीएस की समाप्ति और ओपीएस की बहाली जैसी अन्य मागें नहीं मानती है, तो कर्मचारी, अनिश्चितकालीन हड़ताल जैसा कठोर कदम भी उठा सकते हैं।
कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने कहा, केंद्र सरकार में रिक्त पदों को नियमित भर्ती के जरिए भरना, निजीकरण पर रोक, आठवें वेतन आयोग का गठन और कोरोनाकाल में रोके गए 18 महीने के डीए का एरियर जारी करना, ये बातें भी कर्मचारियों की मुख्य मांगों में शामिल हैं। सरकारी कर्मचारियों की लंबित मांगों को लेकर पिछले साल से ही चरणबद्ध तरीके से प्रदर्शन किए जा रहे हैं
दिसंबर 2022 को दिल्ली के तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में कर्मियों के ज्वाइंट नेशनल कन्वेंशन के घोषणा पत्र के मुताबिक, कर्मचारियों की मुहिम आगे बढ़ाई जा रही है। राज्यों में भी कर्मियों की मांगों के लिए सम्मेलन/सेमीनार और प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं। अब इस कड़ी में दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली आयोजित की गई है। इस रैली में देश के विभिन्न हिस्सों से सरकारी कर्मियों ने हिस्सा लिया।
लिहाजा इस रैली की मुख्य मांगों में पीएफआरडीए एक्ट में संशोधन करना या उसे पूरी तरह खत्म करना भी शामिल था, इसलिए रामलीला मैदान में इस बाबत पोस्टर और बैनर लगाए गए थे। उन पर लिखा था कि सरकार, पीएफआरडीए और एफएसईटीओ को वापस ले।
कर्मचारी संगठनों के नेताओं का कहना था कि जब तक इस एक्ट को खत्म नहीं किया जाता, तब तक विभिन्न राज्यों में लागू हो रही ओपीएस की राह मुश्किल ही बनी रहेगी। वजह, एनपीएस के तहत कर्मियों का जो पैसा कटता है, वह पीएफआरडीए के पास जमा है।
केंद्र सरकार, कह चुकी है कि वह पैसा राज्यों को नहीं लौटाया जाएगा। ऐसे में जहां भी ओपीएस लागू हो रहा है, वहां पर सरकार बदलते ही दोबारा से एनपीएस लागू किया जा सकता है। ऐसे में राज्यों द्वारा की जा रही ओपीएस बहाली में कई पेंच फंसे रहेंगे। कर्मचारी नेताओं ने कहा, केंद्र और राज्यों के जिस विभाग में अनुबंध पर या डेली वेजेज पर कर्मचारी हैं, उन्हें अविलंब नियमित किया जाए।
निजीकरण पर रोक लगे और सरकारी उपक्रमों को नीचे करने की सरकार की मंशा बंद हो। डेमोक्रेटिक ट्रेड यूनियन के अधिकारों का पालन सुनिश्चित हो। राष्ट्रीय शिक्षा कार्यक्रम का त्याग किया जाए और आठवें वेतन आयोग का गठन हो।