मेरठ. भीषण गर्मी और खतरे के स्तर से ऊपर बना प्रदूषण लोगों को त्रस्त कर रहे हैं। शुष्क मौसम में प्रदूषण का बढ़ा स्तर चौंकाने वाला है। सोमवार को लगातार तीसरा दिन था जब मेरठ का वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब स्थिति में आंका गया। मंगलवार को भी इसमें कोई खास राहत नहीं मिली।

सोमवार शाम केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी 150 शहरों के एक्यूआइ की सूची में मेरठ दूसरे नंबर पर रहा। यहां पर एक्यूआइ 331 रहा। 300 से ऊपर एक्यूआइ खतरे की श्रेणी में माना जाता है। प्रथम स्थान पर अंबाला रहा जहां एक्यूआइ 339 रहा। मुजफ्फरनगर भी सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल रहा। यहां एक्यूआइ 328 रहा। सीसीएसयू के रसायन विभाग के अध्यक्ष प्रो. आरके सोनी ने बताया कि निर्माण साइटों से उड़ रही धूल और वाहनों के धुएं के कणों का जमाव वातावरण में निचले स्तर पर बना हुआ है। यही प्रदूषण का स्तर बढ़ा रहा है। सोमवार को पल्लवपुरम और जयभीमनगर में पीएम 10 का स्तर 400 तक पहुंचा।

वायु गुणवत्ता सूचकांक या एक्यूआइ हवा की गुणवत्ता मापने का पैमाना है। इसे 0 से 500 तक अंकों में मापा जाता है। इसके छह अलग-अलग पैमाने निर्धारित किए गए हैं। एक्यूआइ के माध्यम से दर्शाया जाता है कि हवा में पीएम (पर्टिकुलेट मैटर) 2.5, पीएम 10, कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डाईआक्साइड, नाइट्रोजन डाईआक्साइड और ओजोन गैसों की मात्रा मानक से कितनी अधिक हैं।

0-50 अच्छा, 51 से 100 संतोषजनक, 101 से 200 प्रदूषित, 201 से 300 खराब, 301 से 400 अत्यधिक खराब, 401 से 500 गंभीर माना जाता है।

बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण की कड़ी में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तीन औद्योगिक इकाईयों पर कार्रवाई की है। एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से पार यानी अधिक खराब श्रेणी में जाने के कारण स्थिति नियंत्रण के बाहर हो रही थी। इस कड़ी में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने लोहा उद्योग और पेपर मिलों का निरीक्षण किया। निरीक्षण में सूजडृ औद्योगिक क्षेत्र में चल रही शुभ रोलिंग मिल का संचालन प्रदूषण के नियमों के विपरित मिला, जिसके चलते रोलिंग मिल का संचालन बंद किया गया। वहीं इंगट बनाने वाली त्रिमूर्ति इंटरप्राइजेस पर भी प्रदूषण फैलाने पर कार्रवाई की गई। वहीं इसके अलावा क्षेत्र में चल रही टायर-रबड जलाकर तेल निकालने वाली इकाई पर भी कार्रवाई करते हुए संचालन बंद कर दिया गया। इसके बाद तीनों इकाईयों पर प्रदूषण फैलाने के चलते क्षतिपूर्ति शुल्क निर्धारित कर जुर्माना तय किया गया, जिसमें तीनों पर बीस लाख का जुर्माना लगा। इसमें शुभ रोलिंग मिल पर 6,87,500 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया। त्रिमृर्ति इंजीनियरिंग पर 6,87,500 रुपये जुर्माना लगा। वहीं लक्ष्मी इंटरप्राइजेस पर भी 6,25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया।