रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुई जंग को 5 दिन हो चुके हैं लेकिन इसके बावजूद रूसी राष्ट्रपति पुतिन को अब तक मनमाफिक सफलता नहीं मिली है. यूक्रेन की सेना न केवल सफलता के साथ अपने अहम शहरों को बचाने में कामयाब रही है बल्कि रूस को बड़ा नुकसान भी पहुंचाया है.

स्टिंगर मिसाइलों ने रोका रूसी सेना का रास्ता
यूक्रेन के पास यूं तो फाइटर जेट, टैंक और मिसाइल समेत कई तरह के हथियार हैं. लेकिन इनमें से एक हथियार ऐसा भी है, जिससे रूसी सेना इन दिनों सबसे ज्यादा परेशानी झेल रही है. वह हथियार है अमेरिका निर्मित स्टिंगर मिसाइलें कंधे पर रखकर लॉन्चर से दागी जाने वाली इन मिसाइलों से हेलिकॉप्टर, फाइटर जेट, टैंक या किसी भी तरह के बख्तरबंद वाहन को उड़ाया जा सकता है.

सुपरसोनिक स्पीड से करती है हमला
यह मिसाइल सुपरसोनिक गति से टारगेट पर हमला करती है. यह किसी भी तरह के तेज फाइटर जेट को मारकर गिरा सकती है. इसका नियंत्रण सिस्टम इसे क्रूज मिसाइल से ज्यादा सटीक और मारक बना देता है. यह जमीन पर तेजी से गोले बरसा रहे किसी भी टैंक को बर्बाद कर सकती है.

दुनिया की सबसे हल्की मिसाइलों में से एक
स्टिंगर मिसाइल को दुनिया की सबसे छोटी और हल्की मिसाइलों में से एक माना जाता है. इसे कहीं से भी उठाकर लॉन्च किया जा सकता है. इसके बेसिक वेरिएंट यानी FIM-92 Stinger का वजन 15.19 किलोग्राम होता है. जिसमें मिसाइल का वजन 10.1 किलोग्राम और लॉन्चर 5 किलो होता है. इस मिसाइल की लंबाई 1.52 मीटर होती है. इस मिसाइल के नोक पर एक किलोग्राम वजनी पारंपरिक हथियार लगा होता है. जिससे टारगेट पूरी तरह तबाह हो जाता है. इस मिसाइल से रात के अंधेरे में भी हमला किया जा सकता है.

अमेरिका में 1978 से हो रहा उत्पादन
स्टिंगर मिसाइल का डिजाइन वर्ष 1967 में अमेरिका की जनरल डायनेमिक्स कंपनी ने बनाया था. हालांकि इसका उत्पादन रेथियोन मिसाइल सिस्टम कंपनी ने 1978 में शुरू किया. तब से लेकर यह मिसाइल जंग में सबसे फेवरिट बनी हुई है. वर्तमान में 29 से ज्यादा देशों में इन मिसाइलों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

कई देश यूक्रेन को दे रहे स्टिंगर मिसाइलें
रूस के खिलाफ जंग में यूक्रेन के प्रति एकजुटता दिखाते हुए जर्मनी और नीदरलैंड समेत कई देशों ने उसे इन मिसाइलों की आपूर्ति करने की घोषणा की है. जिस पर रूस ने गहरी नाराजगी जताई है. उसका कहना है कि जंग में हस्तक्षेप कर पश्चिमी देश आग को और भड़का रहे हैं.