साहित्य आजतक 2023 का आयोजन पहली बार कोलकाता में किया गया है. शनिवार, 18 फरवरी को इस इवेंट में शत्रुघ्न सिन्हा पहुंचे. इस इवेंट के सेशन ‘खामोश’ के दौरान 70-80 के दशक में बॉलीवुड के सुपरस्टार रहे शत्रुघ्न सिन्हा ने साहित्य आजतक 2023 में अपने करियर के बारे में बात की. उन्होंने बताया कि कैसे बचपन में उनके चेहरे पर रेजर ब्लेड से चोट लगी थी, जिसका निशान उन्हें आज भी है. शत्रुघ्न बताते हैं कि अपने करियर की शुरुआत में वो इस निशान को फिल्मों में छुपाया करते थे और खुद को बदसूरत समझते थे.

शत्रुघन सिन्हा बताते हैं कि बचपन में वो बहुत शरारती थे. उनके पिता यूएस गए थे. वो अपनी मां और मामा-मामी के साथ रहते थे. वो ढाई साल के थे और उनके मामा को कहीं निकलना था. ऐसे में मामा ने अपनी दाढ़ी शेव की थी और जल्दबाजी में अपना रेजर ब्लेड ऐसे ही छोड़ दिया था. मामा के जाने पर छोटे शत्रुघ्न की नजर रेजर पर पड़ी और उन्होंने अपनी बड़ी बहन की दाढ़ी बनाने की कोशिश की. ऐसे में उनकी बहन का गाल कट गया था. फिर उन्होंने रेजर को अपने चेहरे पर चलाया और ब्लेड जाकर उनकी ठोड़ी में अटक गया.

एक्टर बताते हैं कि उन्हें लगता था कि अस्पताल ले जाकर उनका इलाज करवाया गया था और टांके लगवाए गए थे, लेकिन ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में घरेलू नुस्खों से उनकी चोट को ठीक किया गया था. उनके घाव पर राख लगाकर बहते खून को रोका गया था. उस चोट का निशान उन्हें आज भी है. लेकिन फिल्मी सफर की शुरुआत में शत्रुघ्न अपने इस चोट के निशान की वजह से खुद को बदसूरत मानते थे. वो फिल्मों में अपने चेहरे पर हमेशा हाथ इसलिए रखते थे ताकि कैमरा पर उनका निशान ना दिखाई दे. ऐसे में देव आनंद ने उन्हें ऐसी बढ़िया सलाह दी थी, जिसे वो जिंदगीभर याद रखेंगे.

शत्रुघ्न सिन्हा के मुताबिक, ‘मैंने प्लास्टिक सर्जन से बात कर ली थी. पटना जा रहा था सर्जरी करवाने. लेकिन देव साहब ने मुझे कहा कि तुम्हारा काम चल रहा है, नाम और आगे तक चलेगा. तुम्हारा नाम-काम चलेगा तो आगे जाकर यही निशान स्टाइल बन जाएगा. देव आनंद साहब ने कहा कि मेरे दांतों में गड्ढे हैं और आज ये स्टाइल बन गया है. तो जैसे हो वैसे रहो.’ उस दिन के बाद शत्रुघ्न के अंदर आत्मविश्वास आया और उन्होंने अपने निशान को छुपाना बंद कर दिया.